इंदौर में दूल्हे ने दौड़कर निकाली बारात

 

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(ब्‍यूरो कार्यालय)
इंदौर (साई)। प्रदेश के फिटनेस ट्रइस शहर ने बारातें तो कई देखी, लेकिन ऐसी बारात पहली बार देखने को मिली जिसमें दूल्हे से लेकर बाराती तक दौड़ते नजर आए।

ना बैंड, ना घोड़ी और ना ही आतिशबाजी। शेरवानी पहन, गले में गुलाब के फूलों की माला, सिर पर कलगी से सजे साफे को बांधे दूल्हे के साथ सूट-बूट पहने बाराती भी विवाह स्थल की ओर दौड़ते नजर आ रहे थे। सोमवार की शाम शहर में यह अनोखी बारात निकली, जिसका मकसद केवल अपनी शादी को कुछ अलग बनाना नहीं, बल्कि लोगों को सार्थक संदेश देना भी था। यह संदेश सेहत, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और दहेज नहीं लेने का था।

फिजिकल ट्रेनर नीरज मालवीय ने अपनी शादी कुछ इसी अनोखे अंदाज में की। उन्होंने बारातियों के साथ दशहरा मैदान से दौड़ लगाना शुरू की और विवाह स्थल से थोड़ा पहले तक दौड़कर ही गए। इनके साथ 50 से अधिक बाराती थे और वे भी दौड़ रहे थे।

ये सभी बाराती मैराथनर्स हैं, जो अभी तक केवल अपनी सेहत के लिए दौड़ते थे, लेकिन अब लोगों को सेहतमंद रहने का संदेश देते हुए दौड़े। खंडवा नाका स्थित गणेश नगर निवासी नीरज ने दशहरा मैदान से दौड़ना शुरू किया और गंगवाल बस स्टैंड तक दौड़ लगाई। इसके बाद किला मैदान क्षेत्र से संगम नगर तक फिर दौड़ लगाई। इस पूरे सफर में बाराती जरूर दशहरा मैदान से संगम नगर तक पूरे रास्ते दौड़ते रहे।

जब दूल्हा दौड़ सकता है तो कोई और क्यों नहीं

नीरज बताते हैं कि वे जब बारात के कारण बाधित होते ट्रैफिक, पटाखों से प्रदूषित होते पर्यावरण को देखते थे तो लगता था कि खुद की शादी में इस अव्यवस्था के हिस्सेदार नहीं बनेंगे। जब परिवार को दौड़ते हुए बारात निकालने का कहा तो शुरू में तो सभी को रजामंद करना मुश्किल हुआ पर बाद में सभी सदस्य बात मान गए। परिवार के जो सदस्य दौड़ने में समर्थ नहीं थे, उन्हें गाड़ियों से विवाह स्थल पहुंचाया गया। परिवार की इच्छा का मान रखते हुए विवाह स्थल से कुछ दूर पहले घोड़ी पर बैठकर भी बारात निकाली गई।

उन्‍होंने कहा कि दौड़ते हुए बारात निकालकर मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि यदि दूल्हा होकर मैं दौड़ लगा सकता हूं तो अन्य लोग भी दौड़ लगा सकते हैं। बारातियों में अधिकांश ने पीली टीशर्ट पहनी थी, जिसके जरिए इस दौड़ का सार्थक संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके।