फिर निकला पुलिस कमिश्नर प्रणाली का जिन्न!

मुख्यमंत्री शिवराज की मंशा – इंदौर व भोपाल में लागू हो पुलिस कमिश्नरी प्रणाली
(नन्द किशोर)


भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश में दो तीन दशकों में कई बार पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की बात सामने आई पर कभी भी यह लागू नहीं हो पाई। सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को एक बार फिर प्रदेश की राजनैतिक राजधानी भोपाल एवं अर्थिक राजधानी इंदौर में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की बात कही है।


मध्य प्रदेश के राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार सुबह यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने बताया कि दोनों शहरों की बढ़ती जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है।


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी है। भोपाल और इंदौर में जनसंख्या की बढोतरी और भौगोलिक विस्तार के साथ तकनीक के कारण कानून व्यवस्था की नई चुनौतियां पैदा हुई हैं। इनसे निबटने के लिए यह निर्णय लिया गया है। इससे कानून-व्यवस्था को और बेहतर बनाना संभव होगा।


वर्तमान लागू व्यवस्था में हर जिले के पुलिस अधीक्षक को जिला कलेक्टर के अधीन काम करना पड़ता है। कमिश्नर प्रणाली का फायदा यह है कि पुलिस के पास अपराध नियंत्रण के लिए ज्यादा अधिकार और प्रभावी तंत्र होगा। अपराधों पर नियंत्रण के लिए कमिश्नर प्रणाली को बेहतर माना जाता है। अधिकांश महानगरों में यही सिस्टम लागू है।


इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने इस पर तंज कसा है। पार्टी प्रवक्ता नरेंद्र सिंह सलूजा ने कहा है कि इंदौर-भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की घोषणा कोई नई नहीं है। यह घोषणा भी शिवराज की 22 हज़ार कभी नहीं पूरी हुई घोषणाओं में से एक है। 10 वर्ष पहले भी शिवराज ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के जवाब में यह घोषणा की थी।


कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने लिखा कि इसे लागू नहीं किया जा सका तो दिसंबर, 2009 में एसएसपी सिस्टम भी लागू किया था। यह फेल रहा तो 18 दिसंबर 2012 को डीआईजी सिस्टम लागू कर दिया गया। सलूजा ने यह भी कहा है कि इस घोषणा के जरिए सरकार का मकसद केवल आईएएस और आईपीएस लॉबी को आमने – सामने करना है।


इधर, पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि प्रभावी पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आयुक्त बनाए जाने की उम्मीद है। संयुक्त आयुक्त के दो-दो, अतिरिक्त आयुक्त के तीन से चार और उप आयुक्त के छह से आठ अधिकारी तैनात किए जाएंगे। राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को उपायुक्त बनाया जा सकता है।


सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से होने वाले अपराधों की वजह से पुलिस का काम काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपराध को अंजाम दिया जा रहा है। इनकी विवेचना के लिए अधिकारी को सूचना प्रौद्योगिकी में दक्ष होना चाहिए। जब नई व्यवस्था लागू होगी तो ऐसे अपराधों पर नियंत्रण करना तुलनात्मक रूप से आसान होगा। निगरानी की व्यवस्था चाक-चौबंद रहेगी।

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