(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने सेमेस्टर सिस्टम लागू करने की सिफारिश अन्य देशों की शिक्षा प्रणाली को देखने के साथ ही तमाम पहलुओं पर विचार करके की थी।
यह बात यूजीसी के चेयरमैन डॉ. डीपी सिंह ने बुधवार को राजधानी में आयोजित पत्रकारवार्ता में कही। वे यहां एनएलआईयू (नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी) के सेमिनार में शामिल होने आए थे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले साल प्रदेश में यूजी कोर्सेस से जो सेमेस्टर सिस्टम समाप्त कर दोबारा एनुअल सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है वो गलत है। राज्य सरकार को दोबारा से सेमेस्टर सिस्टम को प्रदेश की यूजी कक्षाओं में लागू करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि छात्रों को ग्लोबल स्तर पर तैयार करने के मकसद से सेमेस्टर सिस्टम को शुरू किया गया था। इसे प्रदेश में बंद करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। वे इसे शुरू करने के लिए अपनी तरफ से भी राज्य सरकार को पत्र लिखेंगे। साथ ही उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से इस बारे में चर्चा करेंगे।
उन्होंने बताया कि वे ए-प्लस और ए प्लस-प्लस वाले विवि के लिए ऑनलाइन कोर्स चलाने की प्रक्रिया भी शुरू कर रहे हैं। इसकी अनुमति अच्छे शिक्षण संस्थानों को ही दी जाएगी। इससे छात्र घर बैठे पढ़ाई कर सकेंगे।
प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर को करेंगे अनिवार्य : डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश की अधिकांश यूनिवर्सिटी में प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर नहीं है। ऐसे में रिसर्च स्कॉलर की थीसिस बिना जांच किए ही यूनिवर्सिटी जमा कर लेती है। इससे चोरी की थीसिस होने की आशंका बढ़ जाती है। जल्द ही हम प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर का उपयोग हर यूनिवर्सिटी में अनिवार्य करेंगे।
विवि को मिलें अच्छे कुलपति, इसके लिए प्रशिक्षण : यूजीसी के चेयरमैन ने विवि की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अच्छे कुलपतियों की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इसके लिए यूजीसी एक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाएगा, जिसमें सभी प्रोफेसर्स को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें यह भी सिखाया जाएगा कि अगर वे कुलपति नियुक्त होते हैं, तो किस तरह संस्थान को आगे ले जा सकते हैं। विवि यूजीसी के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं। स्थिति यह है कि विश्वविद्यालयों को यूजीसी के निर्देशों की जानकारी तक नहीं होती है। इस सवाल के जवाब में यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि विवि यूजीसी के निर्देशों का पालन करें, इसके लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी।

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