फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग को बचपन से ही कंप्यूटर चलाना बेहद पसंद था। उन्होंने प्रोग्रामिंग के गुर सीखे। जब दूसरे बच्चे कंप्यूटर पर गेम्स खेलते थे, तब मार्क गेम्स बनाने में जुटे रहते थे। कॉलेज में भी मार्क का कंप्यूटर प्रेम जारी रहा। हारवर्ड में पढ़ते समय उन्होंने फेसमैश नामक एक वेबसाइट बनाई।
इस वेबसाइट पर उन्होंने कुछ लोगों की फोटो डाली और लोगों से कहा वे ज्यादा आकर्षक फोटो को वोट दें। पहले ही घंटे में इंटरनेट पर इसे 450 लोगों ने देखा। वीकएंड पर शुरू हुई इस वेबसाइट से हारवर्ड का सर्वर बैठ गया, इसलिए वेबसाइट बंद कर दी गई। एक दिन जकरबर्ग ने सोचा कि क्यों न ऐसी वेबसाइट बनाई जाए जिस पर दुनिया में कहीं भी रहने वाले लोग आपस में संवाद कर सकें और अपने फोटो, वीडियो आदि दिखा सकें।
एक पल में आया उनका यही विचार आगे चलकर फेसबुक बना। शुरू में जकरबर्ग को बहुत संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने 85 डॉलर प्रतिमाह किराए पर एक सर्वर लिया और वेबसाइट शुरू कर दी। फेसबुक शुरू करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें पैसों की समस्या ने चारों ओर से घेर लिया। ऐसे में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार काम में लगे रहे। उनका यह शौक उस दिन व्यवसाय में बदल गया जब 2004 के अंत में पीटर थील ने फेसबुक में 5 लाख डॉलर का निवेश किया।
पीटर थील इससे पहले पे-पाल, यूट्यूब और लिंक्डइन जैसी कंपनियों में निवेश कर चुके थे। उनकी सलाह और मार्गदर्शन फेसबुक के बहुत काम आया। यही कारण है कि आज फेसबुक का 5 लाख डॉलर का निवेश 2 अरब डॉलर में बदल चुका है और मार्क जकरबर्ग आज विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों की फोर्ब्स सूची में 35वें स्थान पर हैं। मार्क अपनी सफलता का श्रेय नए विचारों को देते हुए कहते हैं कि विचार आते ही मन लगाकर काम शुरू कर दें, सफलता अवश्य मिलेगी।
(साई फीचर्स)

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