समूह बनाकर लेन-देन का मामला

 

(शरद खरे)

सिवनी जिले में बाहर से आकर सब्ज बाग दिखाकर लूटने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। भोले भाले ग्रामीणों को लुभावनी योजनाओं के जाल में फंसाकर बाहर से आने वाले यहाँ के लोगों से माल ऐंठकर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। लुटने पिटने के बाद लोगों की तंद्रा टूटती है और उसके बाद ही पुलिस के लिये नया सिरदर्द खड़ा हो जाता है।

सिवनी में चैन लिंक स्कीम के अनेक उदाहरण सामने आ चुके हैं। इसी तरह चित्रांश कंपनी की टीवी का मामला भी जिले में कई माहों तक उछलता रहा। इतना ही नहीं स्टार कॉपी राईट्स वालों की धमक भी किसी से छुपी नहीं है। कुछ सालों तक स्टार कॉपी राईट्स वाले कारिंदों के द्वारा तो पुलिस के सहयोग से अनेक स्थानों पर कार्यवाही को अंजाम भी दिया जाता रहा था।

छपारा, घंसौर, बरघाट, केवलारी, लखनादौन सहित समूचे जिले में ही सालों से बाहर से आये अंजान लोगों के द्वारा भोले भाले ग्रामीणों को तरह-तरह के वाक जाल में उलझाकर अपना उल्लू सीधा किया जाता है। जिले में जेबीसी फायनेंस लिमिटेड, संचयनी, महाकौशल प्राईवेट लिमिटेड, कैलाश फायनेंस आदि के नाम से चिटफण्ड स्कीम चलाकर लोगों को लूटा गया है।

बताते हैं कि ये अपनी तय रणनीति के अनुसार पहले तो कुछ हजार रूपये लोन के रूप में बांटते हैं, इसमें कितना ब्याज वसूला जायेगा इसका उल्लेख कहीं नहीं होता है! बाद में ग्रामीणों को विश्वास में लेकर उनकी राशि दोगुनी करने के नाम पर इन कथित बैंक के कारिंदों द्वारा बड़ी तादाद में रकम जमा करवा ली जाती है।

बाद में जब ग्रामीण अपना पैसा वापस माँगता है तो उसे तरह-तरह के बहाने बताये जाते हैं। लेनदार जब थक हार जाता है तो उसके बाद वह मौन साध लेता है और बैंक के कारिंदे अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं। इस तरह बाहर से आये अंजान लोग सिवनी में अपना मायाजाल फैलाते नज़र आते हैं।

यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि प्रदेश सरकार की मंशा यही दिख रही है कि प्रदेश से माफियाराज को समाप्त किया जाये। इसके लिये भू माफिया, मिलावट माफिया, शराब माफिया आदि पर कार्यवाही जारी है। इसके अलावा सूदखोर भी शासन के निशाने पर हैं। इसके बाद भी इस तरह की चिटफण्ड कंपनियों पर मश्कें न कसना आश्चर्य का ही विषय है।

आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि महीनों तक इस तरह के अंजान लोग सिवनी में आकर लोगों को भरमाते हैं और पुलिस का मुखबिर तंत्र मौन ही साधे रहता है। बाद में सांप निकल गया लकीर पीटते रह गये की तर्ज पर प्रशासन सक्रिय होता है पर हाथ में पछतावे के अलावा कुछ और हाथ नहीं आता है।

हर थाना क्षेत्र का अपना सूचना संकलन होता है। बाहर से आकर रहने वाले, व्यापार करने वालों आदि पर पुलिस की नज़रें रहती हैं। इसके बाद भी किस तरह ये चिडफण्ड कंपनियां या चैन लिंक स्कीम वाले लोगों की आँखों का काजल चुरा ले जाते हैं। जाहिर है चूक कहीं न कहीं हो ही रही है। इस तरह के मामलों में प्रशासन को सख्त रवैया अपनाया जाना चाहिये।

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.