वाहनों के गड़बड़झाले

 

 

(शरद खरे)

प्रशासनिक उदासीनता के चलते सिवनी अवैध कार्यों का गढ़ बनता दिख रहा है। सिवनी में जुए सट्टे की खबरें जब चाहे तब सार्वजनिक होती रहती हैं। इसके अलावा अवैध रूप से रेत के खनन के मामले भी प्रकाश में आते रहते हैं। सिवनी से पिछले एक दशक में कितनी नाबालिग बालिकाओं के गायब होने की खबरें प्रकाश में आयी हैं, इसके बाद भी इस तरह के मामलों में किसी तरह की ठोस कार्यवाही न होना अपने आप में अजूबा ही माना जायेगा।

पिछले दिनों डूण्डा सिवनी और बरघाट थाने में ट्रक चोरी के दो मामले प्रकाश में आये हैं। वैसे तो इसके पहले ट्रक चोरी के अनेक मामले प्रकाश में आ चुके हैं, पर इन दो मामलों में एक ही आरोपी पर मामले बनने से संदेह गहराना स्वाभाविक ही है। बरघाट थाना वाले मामले में एक नंबर के ट्रक का चेचिस नंबर किसी दूसरे नंबर वाले में चस्पा करने की बात प्रकाश में आयी है। बरघाट थाना वाले मामले में बहुत ही सफाई के साथ एक वाहन के चेचिस नंबर को दूसरे वाहन के चेचिस नंबर पर चस्पा किया गया है। इस वाहन के इंजन नंबर का मिलान भी आरसी बुक से किया जाना चाहिये।

मामला अभी पुलिस की विवेचना में है इसलिये इस मामले में ज्यादा कुछ कहा जाना उचित नहीं होगा पर प्रथम दृष्टया इस मामले में पुलिस के द्वारा अपराध पंजीबद्ध किये जाने से यही प्रतीत हो रहा है कि इस मामले में कहीं न कहीं नियमों का उल्लंघन किया गया है।

कहा जा रहा है कि ट्रक फायनेंस करवाकर उसे कबाड़ियों के पास बेचकर लोग चोरी की रिपोर्ट लिखवा देते हैं। इससे वे फायनेंस कंपनी के बकाया से अपने आप को बचाने का ताना – बाना बुनते नज़र आते हैं तो दूसरी ओर कबाड़ियों से जो पैसा उन्हें मिलता है वह उनके लिये मुनाफे के सौदे से कम नहीं होता है।

परिवहन नियमों पर अगर नज़र डाली जाये तो वाहनों को ऑफ रोड करने के बाद उन्हें अगर कबाड़ियों के पास कटवाना हो तो सबसे पहले परिवहन विभाग के सक्षम अधिकारी से इसके लिये अनुमति की आवश्यकता होती है। परिवहन विभाग की कथित उदासीनता के चलते बिना अनुमति ही वाहनों को कबाड़ियों के पास कटवा दिया जाता रहा है।

कहने को तो पुलिस के द्वारा शहर के कबाड़ियों के पास जाकर निरीक्षण किया जाता है पर अब तक कबाड़ियों पर किसी तरह की बड़ी कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया है। याद पड़ता है कि भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सिद्धार्थ बहुगुणा जब अपनी परिवीक्षा अवधि के दौरान सिवनी में बतौर अनुविभागीय अधिकारी पदस्थ थे, उस दौरान अवश्य कबाड़ियों पर सख्ती की गयी थी।

सिवनी जिले में पिछले एक दशक में जिस तरह ट्रकों की चोरी के रिपोर्ट में इज़ाफा हुआ है उसके चलते इस बात की तस्दीक किया जाना निहायत ही जरूरी है कि इन ट्रकों की चोरी किन परिस्थितियों में हुई थी। इसके अलावा भारी वाहनों के पंजीयन प्रमाण पत्र (आरसी) में दर्ज इंजन नंबर, चेचिस नंबर आदि का मिलान करने के लिये परिवहन विभाग और यातायात पुलिस सहित पुलिस थानों के द्वारा मुहिम चलायी जाना चाहिये। हो सकता है कि इस तरह की कवायद से चोरी के अनेक खुलासे भी हो जायें!

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