पालिका की नाकामी बनी मॉडल रोड व जलावर्धन योजना

 

(शरद खरे)

भाजपा शासित नगर पालिका परिषद का कार्यकाल पूरा हो चुका है इसके बाद भी पालिका की बेढंगी चाल है कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। पालिका के द्वारा नागरिकों की सुविधा के लिये विकास कार्यों के नाम पर जो कुछ किया गया है वह नागरिकों के लिये सुविधा की बजाय उनके लिये परेशानी का सबब ही बनता दिख रहा है।

वर्ष 2013 में भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा नेशनल हाईवे के ज्यारत नाका से नागपुर नाका तक के सड़क हिस्से को मॉडल रोड का नाम दिया जाकर 13 करोड़ 70 लाख रुपये से इसका निर्माण आरंभ करवाया गया था। वर्ष 2013 के बाद कैलेण्डर के पन्ने फड़फड़ाते हुए बदलते रहे और साल दर साल कैलेण्डर ही बदलते गये। वर्ष 2013 के बाद अब दीवारों पर वर्ष 2020 का कैलेण्डर दीवारों पर सज चुका है।

इन छः सालों में भी शहर के अंदर के छोटे से हिस्से में भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा सड़क निर्माण का काम पूर्ण नहीं करवाया जा सका है। यह वाकई भाजपा संगठन और उसके प्रतिनिधियों के द्वारा चलायी जा रही नगर पालिका परिषद के लिये एक बहुत बड़ी नाकामी से कम नहीं माना जा सकता है।

मॉडल रोड क्यों पूर्णता को नहीं पा सकी है यह बात निश्चित तौर पर शोध का ही विषय है। चोरी और सीना जोरी तो देखिये, तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी किशन सिंह ठाकुर के द्वारा मॉडल रोड के अनेक हिस्सों में पूर्णता प्रमाण पत्र (कंपलीशन सर्टिफिकेट) भी जारी कर दिया गया है।

मॉडल रोड के बीच में बने डिवाईडर भी देश तो क्या विदेश में अपने आप में अजूबे से कम नहीं होंगे। महज ढाई से तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क पर कहीं डिवाईडर महज़ चार इंच के हैं तो कहीं-कहीं चार फीट के! पता नहीं किस इंजीनियरिंग के हिसाब से नगर पालिका के द्वारा मॉडल रोड का निर्माण करवाया गया है।

अब नवीन जलावर्धन योजना (पूरक जलावर्धन योजना) का काम आरंभ हुए भी पाँच साल का समय बीतने को है। इसके लिये भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा मेसर्स लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग सर्विसेस को 30 मार्च 2015 को कार्यादेश जारी किया गया था। आज भी यह काम आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है, जबकि ठेकेदार को लगभग नब्बे फीसदी राशि का भुगतान किया जा चुका है!

नवीन जलावर्धन योजना में बिना मुरम की बेडिंग डाले ही पाईप लाईन बिछा दी गयी। पूरे काम में गुणवत्ता का आलम यह रहा कि बिना परीक्षण प्रयोगशाला के ही ठेकेदार के द्वारा काम को संपादित करवाया जाता रहा है। मोटी पगार लेने वाले नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसका अधीक्षण किस तरह किया, यह भी शोध का ही विषय माना जा सकता है।

नवीन जलावर्धन योजना के ठेकेदार को इसका काम पूरा करने के बाद पाँच साल तक भीमगढ़ जलावर्धन योजना का संधारण भी करना है। यह योजना कब पूरी होगी, इस बारे में नगर पालिका परिषद के किसी भी जिम्मेदार के द्वारा तारीख तय नहीं की गयी है। यह जब पूरी हो, इसे परिषद को सौंपा जायेगा उसके बाद पुरानी जलावर्धन योजना का रखरखाव भी ठेकेदार के द्वारा आरंभ किया जायेगा।

मॉडल रोड पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के कार्यकाल की महत्वाकांक्षी योजना थी तो वर्तमान नगर पालिका परिषद के कार्यकाल की महत्वाकांक्षी योजना के रूप में नवीन जलावर्धन योजना का ही जिकर आना स्वाभाविक है। दोनों ही योजनाएं परवान नहीं चढ़ पायीं, पर मज़ाल है कि किसी सियासतदार ने इसके खिलाफ आवाज भी उठायी हो!

यक्ष प्रश्न यही है कि आखिर क्या वजह है कि भाजपा शासित नगर पालिका परिषद की दो महत्वाकांक्षी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। ये दोनों ही योजनाएं जनता की सुविधा के लिये ही बनायी जा रहीं हैं पर जनता के लिये ये सुविधा की बजाय परेशानी का सबब ही बनती दिख रही हैं।

सिवनी को भोलेनाथ यानी भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। सिवनी की जनता बहुत ही सहिष्णु और उदार मानी जाती है। सिवनी की जनता सब कुछ देख सुन रही है। इस मामले में चुने हुए जन प्रतिनिधियों के द्वारा बार-बार लिखे जाने वाले पत्रों पर जनता की नज़र होगी ही। सियासी संगठनों का इस मामले में मौन आश्चर्य का ही विषय माना जायेगा।

तत्कालीन जिला कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड के द्वारा तकनीकि निरीक्षण के बाद जलावर्धन योजना के ठेकेदार को जुर्माना किया गया था, जो बाद में तकनीकि दलों के द्वारा इस काम को ग्रीन चिट प्रदाय कर दी गयी। यह बात समझ से परे ही है कि एक तकनीकि दल उसे गलत ठहराता है तो दूसरा सही! कुल मिलाकर कहीं न कहीं गफलत अवश्य ही है।

मॉडल रोड और नवीन जलावर्धन योजना दोनों ही सिवनी शहर के नागरिकों के लिये भी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा सकती हैं, क्योंकि दोनों ही का उपयोग व उपभोग जिला मुख्यालय के निवासियों को ही करना है। अब जबकि परिषद का कार्यकाल पूरा हो चुका है तो निश्चित तौर पर अब किसी अधिकारी को नगर पालिका में बतौर प्रशासक बैठाया जायेगा। प्रशासक की तैनाती के बाद ही उम्मीद की जायेगी कि इन दोनों ही परियोजनाओं की वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सके।