(लिमटी खरे)
इस साल सावन का महीना अपेक्षाकृत सूखा ही बीता, पर भादों के आरंभ से ही बारिश का अनवरत सिलसिला आरंभ हुआ। यह सिलसिला पितर पक्ष की समाप्ति तक जारी है। नवरात्र के अवसर पर भी बारिश होने की संभावनाएं मौसम विभाग के द्वारा जारी की जा रही हैं।
हर साल जिला प्रशासन के द्वारा आपदा राहत के नाम पर एक केंद्र की स्थापना बारिश के पूर्व की जाकर इस कंट्रोल रूम में सरकारी कर्मचारियों की तैनाती की जाती है। याद नहीं पड़ता कि सालों में कभी भी इस नियंत्रण केंद्र के द्वारा बारिश के दौरान किसी की जान बचाई गई हो।
संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा जुलाई माह के अंतिम दिनों में केवलारी के निरीक्षण के दौरान सरकारी महकमों को चेताया था कि पुल के ऊपर से पानी अगर बह रहा हो तो उस पर आवागमन तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। इसके अलावा उन्होंनें पुल, पुलियों के दोनों ओर प्रकाश की व्यवस्था और बेरियर लगाने के साथ ही साथ वहां कर्मचारियों की तैनाती के निर्देश भी दिए थे।
विडम्बना ही कही जाएगी कि जिलाधिकारी के निर्देश को अमली जामा पहनाने में मातहत कर्मचारियों और अधिकारियों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिले में जितने भी पुल पुलिया हैं उन पर न तो बेरियर लगे हैं न प्रकाश की व्यवस्था है और न ही कोई कर्मचारी ही पुल पर पानी बहने की दशा में दिखाई देता है। और तो और कुछ दिन पहले जब लखनवाड़ा में बैनगंगा उफान पर थी उस दौरान भी छोटे पुल पर बेरियर तक नहीं दिखाई पड़े।
31 जुलाई को धूमा थानांतर्गत सनाई कच्दार निवासी चमन ंिसंह पिता लख्खू मरावी बोदा नाला में बह गए। इसके उपरांत बरघाट विधान सभा के धोबीटोला के एक 58 वर्षीय प्रौढ़ नाले में बह गए थे। इतना ही नहीं 14 एवं 15 सितंबर को सिवनी में हुई जबर्दस्त बारिश में मुंगवानी रोड पर जय सनोडिया और चंद्रभान सनोडिया वाहन सहित बह गए थे।
हाल ही में किंदरई चौकी क्षेत्र में गोकला नाले में तेज बहाव में बाईक में सवार तीन लोग बह गए हैं। इस तरह अब तक इस बारिश में प्रशासनिक अनदेखी के चलते सात लोगों ने दम तोड़ा है। यह अपने आप में गंभीर मामला है। जिस पुल से होकर ये सभी गुजरे होंगे वहां अगर इन्हें रोकने के लिए बेरियर लगे होते, प्रकाश की व्यवस्था होती या कोई कर्मचारी तैनात होता तो निश्चित तौर पर इन्हें रोका जाता और ये जान से हाथ नहीं धोते।
यह समझा जा सकता है कि अगर कोई भी अपने घर से बाहर होता है और वह घर वापस आ रहा होता है तो उसे अपने घर पहुंचने की जल्दी होती है। जल्दबाजी में ही दुर्घटनाएं कारित होती हैं। पर अगर कोई इन लोगों को नियम कायदों का हवाला देकर रोकने का प्रयास करता है तो ये रूक भी सकते हैं।
याद पड़ता है कि अस्सी के दशक के अंत में जब हम देशबंधु भोपाल में उप संपादक के बतौर काम करते थे उस समय मध्य प्रदेश राज्य परिवहन निगम के अलावा भोपाल आने जाने का कोई साधन नहीं होता था। उस दौरान भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार सोमदत्त शास्त्री ने एक बार हमसे कहा था कि बस में जब भी बैठो तो चालक से पूछ लो कि वह कहां का रहने वाला है! हमने पूछा क्यों! उन्होंने कहा कि अगर वह उस स्थान का रहने वाला है जहां आप जा रहे हैं तो वाहन की गति बहुत ज्यादा होगी, क्योंकि वह जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहेगा! कहने का तातपर्य महज इतना ही है कि घर जाने की जल्दी सभी को होती है पर उन्हें रोका भी जा सकता है।
इस साल बारिश में सात जिंदगानियां समाप्त हुई हैं। वह भी तब जबकि संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा बारिश के आरंभ (जुलाई के अंत में) सरकारी विभागों को पुल पर पानी होने की दशा में वाहन न निकलने देने, पुल पुलियों में बैरियर बनाने एवं प्रकाश की व्यवस्था के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी अगर इस तरह की दुर्घटनाएं घटी हैं तो इसकी जांच की जाना चाहिए।
अमूमन यही होता आया है कि अधिकारियों के द्वारा निर्देश तो जारी कर दिए जाते हैं पर उन निर्देशों का पालन हो भी रहा है अथवा नहीं, इस बारे में देखने सुनने की फुर्सत किसी को भी नहीं रह जाती है। जिन जिन स्थानों पर ये हादसे हुए हैं, उन स्थानों की सड़कों का संधारण कौन कौन से विभाग कर रहे हैं, इस बारे में तफ्तीश की जाकर कम से कम इन विभागों के जिला प्रमुखों को कारण बताओ नोटिस तो जारी किया ही जा सकता है!
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिलाधिकारी के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी जिले के संबंधित विभागों के प्रमुखों के द्वारा इस मामले में अनदेखी की गई है। यह अनदेखी सात लोगों पर भारी पड़ी है। इन हादसों में वाहन चालकों की गलति हो सकती है पर उससे बड़ी गलति तो विभाग अधिकारियों की है कि उनके द्वारा पुल पुलियों पर बेरीयर क्यों नहीं लगाए गए! क्या वजह थी कि इस तरह के स्थानों को अब तक चिन्हित नहीं किया गया! अगर चिन्हित किया गया तो यहां प्रकाश आदि की व्यवस्थाएं क्यों नहीं की गई! संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे इस मामले में ठोस कार्यवाही कर एक नज़ीर पेश अवश्य करें ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।