उमस, मच्छर कर रहे हैरान

 

 

(शरद खरे)

बारिश में कुछ दिनों से विराम नज़र आ रहा है। बारिश के रूकने से मौसमी बीमारियों ने पैर पसार लिये हैं। अस्पतालों और निजि चिकित्सकों के पास रोज़ाना ही वायरल बुखार के साथ ही साथ मलेरिया, उल्टी दस्त आदि के मरीज़ों की तादाद में इज़ाफा दर्ज देखा जा रहा है। सरकारी स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं में कमी साफ दिखायी पड़ रही है, जिसके चलते निजि तौर पर चिकित्सा करने वाले विशेषकर सरकारी चिकित्सकों की पौ बारह है।

लगभग एक माह से उमस ने लोगों का जीना मुहाल किया हुआ है। बारिश के मौसम में लोगों ने अपने-अपने कूलर बंद कर, उनके टैंक सुखाकर रख दिये थे। अब उन्हें कूलर की आवश्यकता पुनः महसूस होने लगी, तो एक बार फिर लोगों के घरों में कूलर चलने लगे हैं।

दूबरे पर दो आषाढ़ की तर्ज पर सिवनी में नलों का रोना भी जमकर रोया जा रहा है। नगर पालिका के नल जब-तब पानी फेंकना बंद कर देते हैं। पता नहीं नगर पालिका ने किस तरह की योजना बनायी है कि लोगों को एक वक्त भी पर्याप्त पानी मयस्सर नहीं हो पा रहा है। पालिका की विज्ञप्ति में अक्सर ही तकनीकि कारणों का हवाला दिया जाकर आंशिक रूप से जलापूर्ति की बात कही जाती है।

लोगों को जो पानी मिल भी रहा है वह गंदा और बदबूदार ही है, जिससे तरह-तरह के रोगों की आशंकाओं को निर्मूल नहीं माना जा सकता है। लोगों के पेट में दर्द, मरोड़ उठना आम बात हो गयी है। संपन्न वर्ग के लोग तो तरह-तरह के फिल्टर का उपयोग कर ले रहे हैं, पर जो सीधे नलों का पानी पी रहे हैं उनसे पूछा जाये कि उन पर क्या बीत रही है। जिला चिकित्सालय में भी पानी बिना फिल्टर के ही प्रदाय हो रहा है। जिन कार्यालयों या स्थानों पर फिल्टर लगे भी हैं, वहाँ फिल्टर की साफ-सफाई का ध्यान शायद ही रखा जाता हो।

बारिश के थमने से मच्छरों की फौज के हमले तेज हो गये हैं। लोगों को दिन-रात घरों में मच्छरों का सामना करना पड़ रहा है। नगर पालिका की फॉगिंग मशीन का अता पता नहीं है। विपक्ष में बैठे काँग्रेस के पार्षद भी मौन ही साधे हुए हैं इस मसले पर। सबसे ज्यादा दुःखद स्थिति शालाओं की है। शालाओं में जो कि निर्जन वीराने में हैं, के आसपास हरियाली इन मच्छरों के लिये वरदान ही साबित हो रही है। सुबह से शाम तक बच्चे मच्छरों से हलाकान ही नज़र आते हैं। विद्यालय प्रशासन द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बारिश में अनेक स्थानों पर डबरे और पोखर भरे हैं, जो मच्छरों के प्रजनन के लिये उपजाऊ माहौल उत्पन्न कर रहे हैं। न तो मलेरिया विभाग को ही इसकी चिंता है और न ही स्थानीय निकायों को ही इसकी सुध लेने की फुर्सत है। इन परिस्थितियों में अंततोगत्वा मरण, आम नागरिक की ही हो रही है। सांसद-विधायक भी इस मसले पर मौन ही हैं।

संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे कम से कम एक बार जिला मलेरिया अधिकारी और प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी को बुलाकर उनसे इस बात की तसदीक अवश्य करें कि जिला मुख्यालय सहित जिले भर में मच्छरों के शमन के लिये क्या व्यवस्थाएं की जा रही हैं?

इन दोनों ही अधिकारियों के जवाब के बाद जिला कलेक्टर अगर स्वयं जिला मुख्यालय का भ्रमण करेंगे तो उनके सामने वस्तु स्थिति स्पष्ट हो जायेगी कि सरकारी मशीनरी के द्वारा आला अधिकारियों को किस कदर गुमराह किया जाता है। वैसे इसका प्रमाण पुलिस के अधिकारियों से चर्चा कर भी लिया जा सकता है जो बीते दिवस छपारा में पुलिस अभिरक्षा में हुए हादसे के बाद रात में जिला अस्पताल में मच्छरों से बचने के लिये एक स्थान पर रूकने की बजाय पूरे समय टहलते ही रहे थे।