ट्रामा केयर यूनिट पर मौन!

 

 

(शरद खरे)

सिवनी शहर में अजीब तरह की सियासत सालों से चल रही है। शहर, जिले की समस्याओं से मानो सियासतदारों को कोई सरोकार नहीं है। जिले के लिये संघर्ष करने वालों का टोटा भी साफ तौर पर दिखायी देता है। पिछले साल विधान सभा चुनाव संपन्न हुए और इस माह के अंत में लोकसभा चुनाव होने हैं, इसके बाद भी किसी को इस बात की परवाह नहीं है कि जिले की समस्याओं को उठाया जाये।

जिले में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी समस्याएं दो तीन दशकों से लगातार ही बनी हुई हैं। जलावर्धन योजना, मॉडल रोड आदि समस्याएं जिला मुख्यालय में हैं तो अर्थ व्यवस्था की रीढ़ किसानों की फसलों को सरकारी स्तर पर खरीदा तो जा रहा है पर उसके उचित रखरखाव में हर साल लाखों टन अनाज सड़ जाता है।

हाल ही में बण्डोल के समीप एक दुर्घटना में तीन लोग काल कलवित हुए। इसमें गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को नागपुर रिफर किया गया। सिवनी से होकर उत्तर दक्षिण गलियारा गुजर रहा है। यह फोरलेन मार्ग बेहतरीन माना जा सकता है। इस पर वाहन फर्राटा भरते चलते हैं।

इन परिस्थितियों में अगर कहीं दुर्घटना होती है तो आम दुर्घटनाओं से ज्यादा इसमें क्षति की गुंजाईश इसलिये होती है क्योंकि फोरलेन मार्ग पर वाहनों की गति सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद होती है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के द्वारा इस तरह के मार्ग निर्माण के साथ ही साथ यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए गाईड लाईन तय की गयी हैं।

इन गाईड लाईन्स के हिसाब से प्रत्येक पचास किलोमीटर पर एक एंबूलेंस, प्रत्येक 150 किलोमीटर पर लेवल तीन का एक ट्रामा केयर यूनिट एवं प्रत्येक तीन सौ किलोमीटर पर सुव्यवस्थित और सुसज्जित लेवल दो का एक ट्रामा केयर यूनिट होना चाहिये। ट्रामा केयर यूनिट को मुख्य सड़क पर इस तरह बनाया जाता है कि घायल को कम से कम समय के अंदर ही चिकित्सकीय सुविधा मुहैया हो सके।

सिवनी में भी नरसिंहपुर मार्ग पर सिवनी लखनादौन और लखनादौन से नरसिंहपुर के बीच तथा सिवनी से खवासा के बीच एक एक एंबूलेंस इस तरह कुल तीन एंबूलेंस होना चाहिये। इसके अलावा सिवनी शहर में लेवल तीन का एक ट्रामा केयर यूनिट प्रस्तावित था। इस यूनिट को वर्ष 2010 में ही अस्तित्व में आ जाना चाहिये था। अगर यह बन जाता और काम करना आरंभ कर देता तो न जाने कितने मरीज नागपुर की दौड़ लगाने से बच जाते और अनेक घायल असमय जान से हाथ भी नहीं धो पाते।

जिला चिकित्सालय में भी 2014 से ट्रामा केयर यूनिट का भवन बनकर तैयार है। यह भवन भी शोभा की सुपारी ही बना हुआ है। सिवनी के सियासतदारों से इस मामले में उम्मीद करना तो बेमानी ही होगा। संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे ही इस मामले में कुछ करें ताकि फोरलेन पर एनएचएआई का ट्रामा केयर यूनिट बन सके और जिला चिकित्सालय में ठूंठ की तरह खड़ा ट्रामा केयर यूनिट आरंभ हो सके।

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