(शरद खरे)
मलेरिया एक घातक बीमारी है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये प्रदेश और देश में अपने-अपने स्तर पर अनेक योजनाएं संचालित होती आयी हैं। एक समय था जब देशव्यापी स्तर पर राष्ट्रीय मलेरिया उन्न्मूलन कार्यक्रम चलाया जाता था। कालांतर में इसकी धमक कम हो गयी।
प्रौढ़ हो रही पीढ़ी की स्मृति से अभी यह बात विस्मृत नहीं हुई होगी कि उन्हें दीवारों पर बुखार मलेरिया हो सकता है, खून की जाँच करायें, पानी जमा न होने दें, इससे मच्छर पनपते हैं . . . जैसे जुमले दीवारों पर लिखे दिख जाते थे। घरों-घर मलेरिया विभाग द्वारा डीडीटी पाउडर का छिड़काव कराया जाता था। अब तो मच्छरों से निपटने के लिये सरकारी स्तर पर कोई कार्यवाही होती नहीं दिखती। अब मलेरिया से निपटने के लिये मल्टी नेशनल कंपनियों के प्रोडॅक्ट ही लोगों को बाज़ार से खरीदने पड़ रहे हैं।
सिवनी जिले में मौसम के बदलते सुर से मलेरिया के मरीज़ों की तादाद में बेतहाशा बढ़ौत्तरी दर्ज की गयी है। मलेरिया के मरीज़ों की तादाद में आधा दर्जन गुना बढ़ौत्तरी को चिंता जनक माना जा सकता है। सरकारी स्तर पर आज की स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं कही जा सकती हैं। यही कारण है कि मरीज़ों को लेकर, उनके परिजन निज़ि तौर पर चिकित्सा करवाने में ज्यादा भरोसा रख रहे हैं। हो सकता है मलेरिया की जाँच हेतु सरकारी स्तर पर रक्त पट्टिकाओं की तादाद कम हो पर निज़ि चिकित्सालयों और पैथॉलॉजी लेब्स में इनकी तादाद में विस्फोटक वृद्धि दर्ज की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिये कि निज़ि चिकित्सालयों और पेथॉलॉजी लेब्स से भी रोजाना आंकड़े बुलवाये और जन संपर्क कार्यालय के माध्यम से रोजाना मीडिया के जरिये लोगों को इसकी जानकारी दी जाये।
सिवनी शहर में मलेरिया के रोगियों की तादाद बढ़ी है। इसके पीछे गंदगी और स्थान-स्थान पर भरा पानी ही मुख्य रूप से जवाबदेह माना जा सकता है। साफ-सफाई के अभाव में मच्छरों के लिये उपजाऊ माहौल तैयार हो रहा है। असमय हो रही बारिश भी पानी को एकत्र कर रही है, जिससे मच्छर इनमें अपने अण्डे देकर अपनी फौज की ताकत बढ़ा रहे हैं। नगर पालिका परिषद सिवनी के पास मच्छर भगाने के लिये फॉगिंग मशीन है। यह मशीन भी शोभा की सुपारी ही बनी हुई है। महीनों तक शहर वासी इस मशीन के दर्शन नहीं कर पाते हैं। यदा कदा फॉगिंग मशीन का शोर सुनायी दे जाता है पर यह महीने में एकाध बार ही सड़कों पर दिखती है। पता नहीं क्यों नगर पालिका में विपक्ष में बैठी काँग्रेस भी जनता से सीधे जुड़े इस मामले में चुप्पी ही साधे बैठी है। फॉगिंग मशीन के लिये तेल और दवाओं का बिल भी परिषद में पास होता होगा पर इस मामले में भी आपत्ति नहीं लगायी जाती है।
अभी तो गर्मी शवाब पर भी नहीं आयी है और अभी से ही मच्छरों की फौज के हमले का यह आलम है तो गर्मी में पता नहीं क्या होने वाला है। मलेरिया के रोगियों की जाँच के लिये वार्ड स्तर पर शिविर आहूत करने की महती जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों सहित जिम्मेदार सरकारी नुमाईंदे भी यह मानकर चल रहे हैं कि सब कुछ ठीक ठाक ही है। मलेरिया से अब तक देश भर में हुईं मौतों के भयावह आंकड़ों से जिला प्रशासन को सबक लेते हुए इसके लिये माकूल व्यवस्थाएं मुकम्मल करवाने की जनापेक्षा है।

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