(शरद खरे)
अपने दामन में गौरवशाली इतिहास सजोने वाले मिशन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (बड़ा मिशन) स्कूल का भवन लगभग 119 साल पुराना हो चुका है। आज भी यह पुराने स्वरूप में ही दिखायी देता है। इस शाला से विद्या अर्जित कर न जाने कितने विद्यार्थियों ने देश-प्रदेश और विदेशों में सिवनी का नाम रौशन किया है।
अस्सी के दशक तक इस शाला में पढ़ना स्टेटस सिंबॉल ही माना जाता था। आज भी उमर दराज लोग उस वक्त के प्राचार्य जे.के. सिंह और एम.के. सिंह के कार्यकाल को याद करते हैं। दोनों ही के द्वारा शाला में जिस तरह अनुशासन बनाये रखा जाता था वह वाकई तारीफे काबिल ही रहा है।
इस शाला में पढ़ाने वाले शिक्षकों का नाम आज भी उनके विद्यार्थी बहुत ही सम्मान के साथ लेते हैं। यहाँ का सीवी रमन प्रयोगशाला भवन, स्काउट डेन, एनसीसी कक्ष आदि भी यहाँ से पढ़कर निकले विद्यार्थियों के मानस पटल पर दशकों पहले की तरह ही जिंदा हैं।
इस शाला में दो बड़े मैदान हुआ करते थे, जिसमें से एक मैदान पर फुटबाल खेली जाती थी तो दूसरे मैदान पर क्रिकेट। शाला के पीछे वाले हिस्से में बास्केट बॉल का मैदान था। विडंबना ही कही जायेगी कि देखरेख के अभाव में अब सब कुछ पहले के मानिंद नहीं रह गया है।
दशकों तक स्कॉटलेण्ड चर्च की इमदाद से चलने वाली इस संस्था को प्रदेश सरकार के द्वारा ग्रांट दिया जाना आरंभ किया गया। इसके उपरांत कुछ षड्यंत्रकारियों के ताने बाने के चलते इस शाला का अनुदान बंद करवा दिया गया। इसके बाद से इस शाला की साख प्रभावित होना आरंभ हुई।
बहरहाल, सिवनी जिले में आज़ादी के पहले निर्मित नॉर्मल स्कूल के भवन को डिग्री कॉलेज़ को दिया गया था। इसके अलावा कोतवाली के सामने वाली अभ्यास शाला, हिन्दी मेन बोर्ड, मिशन स्कूल आदि इस तरह के भवन हैं जो अपने आप में अद्भुत व अकल्पनीय ही माने जा सकते हैं।
इनमें से डिग्री कॉलेज़ के लाल भवन की सुध ली जा चुकी है। लाल बिल्डिंग को रंग रोगन किया जाकर वापस पुराने स्वरूप में लाने की कवायद की गयी। इसी तर्ज पर अगर मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला, अभ्यास शाला (नेताजी सुभाष चंद्र स्कूल) के साथ ही साथ हिन्दी मेन बोर्ड शाला के भवनों की भी सुध लेने की आवश्यकता है।
विडंबना ही कही जायेगी कि मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला भवन में रात के समय प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण यह भवन शाम ढलते ही अंधेरे के साये में गुम हो जाता है। इसके लिये सांसद, विधायकों सहित जिला प्रशासन और सियासी दलों के नुमाईंदों को पहल करने की आवश्यकता है। सोलर एनर्जी से चलने वाली कुछ लाईट्स का प्रकाश शाला भवन पर ऊपर और नीचे से डाला जाकर इस शाला भवन को रात के समय में भी आकर्षक बनाया जा सकता है।

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