(शरद खरे)
भाजपा शासित नगर पालिका परिषद आखिर किस तरह का सुराज सिवनी शहर में लाने का प्रयास करती रही है, यह बात शोध का ही विषय मानी जा सकती है। नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं दिलाने में असफल नगर पालिका परिषद के द्वारा अपेक्षाकृत गैर जरूरी मुद्दों पर ही बहस कर अपना समय जाया किया जाता रहा। अब नगर पालिका परिषद का कार्यकाल पूरा हो गया है और बतौर प्रशासक जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा कार्यभार ग्रहण भी कर लिया गया है तब पालिका के रवैये में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
शहर में किस गुणवत्ता का पानी प्रदाय किया जा रहा है इस बारे में पालिका के द्वारा अब तक एक बार भी अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है। पानी की शुद्धता देखने की फुर्सत न तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी को दिखी और न ही चुनी हुई परिषद के प्रतिनिधियों को। गंदा, बदबूदार पानी पीकर लोगों का पेट खराब हो रहा है, पर इसकी चिंता किसी को नहीं दिख रही है।
इसी तरह सिवनी शहर में आवारा मवेशी, सूअर, कुत्ते, गधे आदि कोहराम मचाये हुए हैं। लोगों का जीना मुहाल किये हैं आवारा जानवर। नगर पालिका इन्हें नियंत्रित नहीं करना चाह रही है। देर रात काले रंग के जानवरों से टकराकर वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। पूर्व कलेक्टर भरत यादव के द्वारा लगातार दो साल तक नगर पालिका को बार-बार कड़े निर्देश जारी कर कहा गया था कि आवारा जानवरों को सड़कों से हटाया जाये, किन्तु नगर पालिका ने उनकी भी एक न सुनी। उनके बाद धनराजू एस. एवं गोपाल चंद्र डाड ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।
आवारा सूअर लोगों के घरों के अंदर घुस रहे हैं। लोगों के बिना चारदीवारी वाले घरों के अंदर दर्जनों की तादाद में एक साथ घूम रहे सूअरों का ताण्डव देखते ही बनता है। लगभग कुछ साल पूर्व नगर पालिका परिषद के द्वारा महंगे विज्ञापन जारी कर सूअरों के विनिष्टिकरण की निविदा बुलायी गयी थी। इसके बाद पाँच सौ पचास रुपये प्रति सूअर के हिसाब से दरें भी तय कर दी गयी थीं। पालिका ने सूअर विनिष्टिकरण का अभियान आरंभ भी किया।
सड़कों पर आवारा मवेशी खड़े जुगाली करते आसानी से देखे जा सकते हैं। पालिका के पास मवेशी के लिये हाका गैंग है, कांजी हाउस है, सारे संसाधन हैं पर पालिका इस दिशा में ध्यान पता नहीं क्यों नहीं देना चाह रही है? आवारा मवेशियों के गोबर से लोगों के प्रतिष्ठानों के आसपास गंदगी फैल रही है। सड़कों पर ये यातायात बाधित करते भी नज़र आते हैं।
इसी तरह आवारा कुत्तों के द्वारा लोगों को बुरी तरह परेशान किया जा रहा है। आवारा कुत्तों के द्वारा सुबह सवेरे स्कूल जाते छोटे बच्चों पर हमला कर दिया जाता है। चिकित्सालय के आसपास फेंके जाने वाली खून-मवाद की गंदगी को खाकर कुछ कुत्ते बेहद आक्रमक भी हो उठे हैं। देर रात श्वानों के लड़ने की आवाजें भी लोगों को भयाक्रांत करती नज़र आती हैं।
अब तो श्वानों के छोटे-छोटे बच्चे भी सड़कों पर घूमते नज़र आते हैं। श्वान के बच्चों को बचाने के चक्कर में अनेक दो पहिया वाहन चालक भी दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। इन छोटे बच्चों के साथ मादा श्वान भी घूमती नज़र आती हैं, जो कभी कभार हिंसक भी हो उठती हैं।
ये हालात पालिका प्रशासन से छुपे नहीं हैं। अब जबकि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह ने जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद के प्रशासक के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया गया है, तब उम्मीद की जानी चाहिये कि अब नगर पालिका की व्यवस्थाएं कुछ हद तक पटरी पर लौट सकती हैं।

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