आखिर कहाँ गया एमआर 01 का प्रस्ताव!

 

(शैव खरे)

सिवनी जिले में प्रशासनिक मशीनरी लकवाग्रस्त ही दिख रही है। किसी को इस बात की परवाह नहीं दिख रही है कि जिले के नागरिक क्या चाह रहे हैं। मामला चाहे बस स्टैण्ड का हो या मॉडल रोड अथवा नवीन जलावर्धन योजना का, हर मामले में अधिकारियों के द्वारा अपने निर्णयों को लोगों पर थोपा ही जा रहा है।

सिवनी शहर में प्रशासनिक स्तर पर जो कुछ भी होता है वह किसके लिये किया जाता है? सड़क, नाली, यातायात सिग्नल, रोड डिवाईडर, बगीचे, पाईप लाईन जैसी सुविधाएं किसके लिये लायी जाती हैं? अधिकारियों या नेताओं अथवा चुने हुए जनप्रतिनिधियों के लिये या शहर में रहने वाली जनता जो उन्हें चुनती है, उनके लिये!

सालों से एक बात ही दिखायी दे रही है कि जिसका जो मन आया वैसी योजना तैयार करवा दी गयी। आनन-फानन बड़ी योजनाओं के विस्तृत प्राक्कलन बनवा दिये गये। जनता ने विरोध किया तो जनता के विरोध को हाशिये पर रखकर मनमानी भरे फैसले जनता के सिर पर थोप दिये गये।

सिवनी में मोगली की झाँकी, अस्पताल में तत्कालीन जिलाधिकारियों के फरमान, मॉडल रोड, नवीन जलावर्धन योजना इस तरह की मनमानियों के लिये नायाब उदाहरण माने जा सकते हैं। लगभग छः लाख रुपये की लागत से बनी मोगली की झाँकी जिसे लगभग डेढ़ दशक पहले गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल किया गया था, के वापस सिवनी आने पर उसे तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा बस स्टैण्ड पर दशहरा मैदान के सामने सड़क पर स्थापित करवा दिया गया था।

लोगों ने विरोध किया पर प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी। मोगली की झाँकी के अवशेष बबरिया स्थित जल शोधन संयंत्र के पीछे दिखायी देते रहे, अब वे भी वहाँ से गायब हा चुके हैं। उस समय लोगों के द्वारा इसे सर्किट हाउस के अंदर स्थापित किये जाने की बात प्रशासन से की गयी थी ताकि लोक निर्माण विभाग के द्वारा उसकी देखरेख की जाती।

इसी तरह तत्कालीन जिलाधिकारियों के द्वारा कभी जिला चिकित्सालय के प्राईवेट वार्ड का गेट बंद करवा दिया गया तो कभी पूरे के पूरे कॉरीडोर को ही बांस की जाफरी से बंद करवा दिया गया, जिससे अस्पताल में स्वच्छ हवा आना ही बंद हो गयी। कभी किसी जिलाधिकारी के द्वारा अस्पताल में प्रसूति विभाग के भवन के सामने के द्वार को ही चुनवा दिया गया।

मॉडल रोड भी इसका एक उदाहरण मानी जा सकती है। शहर का मुख्य मार्ग अस्तित्व में होने के बाद इसी मार्ग को मॉडल रोड का नाम दे दिया गया, जबकि किसी अन्य मार्ग को मॉडल रोड की मद से बनाया जा सकता था, जिससे यातायात के दबाव को मॉडल रोड से कम किया जा सकता था।

भीमगढ़ जलावर्धन योजना की पूरक जलावर्धन योजना में भी नागरिकों के भारी विरोध के बाद विरोध शमन के लिये चुनी हुई परिषद के ऊपर एक समिति बना दी गयी। इस समिति के द्वारा कुछ वर्षों पहले क्या सिफारिशें की गयीं थीं, यह बात आज के समय में शायद ही कोई जानता हो। नवीन जलावर्धन योजना को भी मानो अपने ही तरीके से बनाकर लोगों पर थोपा जा रहा है।

नवीन जलावर्धन योजना के ठेकेदार को पालिका के तत्कालनीन सीएमओ और अभियंताओं के द्वारा खुली छूट प्रदान की गयी थी। किसी नागरिक के द्वारा जब भी ठेकेदार की खामियों की शिकायत की जाती तो तत्कालीन अधिकारी विकास की आड़ लेकर लोगों को चुप करा देते।

दो साल पहले शहर की मुख्य सड़क (ज्यारत नाका से नागपुर नाका तक की मॉडल रोड) पर यातायात का दबाव कम करने की गरज से दो मेजर रोड्स की बात फिजा में तैरी थी। लोगों का कहना था कि यह इनर रिंगरोड साबित हो सकती थी। शहर के बाहर से नये और पुराने बायपास को आउटर रोड की संज्ञा दी जा सकती है।

शहर के छोर पर निवास करने वालों को अगर दूसरे सिरे तक जाना हो तो आउटर रिंग रोड बहुत ज्यादा लंबी साबित हो सकती है, संभवतः इसी के मद्देनज़र शहर की सीमा के अंदर से ही दो सड़कों को बनाये जाने का प्रस्ताव किया गया होगा। इन दोनों सड़कों को शहर के किन हिस्सों से होकर गुज़ारा जाना प्रस्तावित है यह बात शायद ही कोई जानता हो। सवाल यही खड़ा है कि नागरिकों के लिये बनने वाली इस सड़क का विस्तृत प्राक्कलन बनवाने के पहले क्या इस सड़क की उपयोगिता को जाँचना नगर पालिका के अधिकारियों ने आवश्यक नहीं समझा!

हमारी नितांत निज़ि राय के अनुसार इस सड़क को छिंदवाड़ा रोड पर फिल्टर प्लांट के पीछे से बनाया जाना चाहिये। यह इसलिये भी आवश्यक है क्योंकि आने वाले समय में शहर का विस्तारीकरण होगा ही और जब शहर बढ़ेगा तब क्या एक और मेजर रोड बनायी जाना प्रासंगिक होगा? उस समय केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियां क्या होंगी यह बात भविष्य के गर्भ में है पर वर्तमान में इस सड़क के लिये विचार करने की आवश्यकता है।

अगर इस सड़क को छिंदवाड़ा रोड स्थित फिल्टर प्लांट के पीछे से ले जाया जाता है और बस स्टैण्ड से हड्डी गोदाम होकर वहाँ से एक चौड़ी सड़क के जरिये इसे जोड़ दिया जाता है तो नागपुर और छिंदवाड़ा से आने-जाने वाली यात्री बस इस सड़क से होकर गुजर सकेंगी, जिससे मॉडल रोड पर यातायात का दबाव वास्तव में कम हो पायेगा।

पता नहीं शहर के विकास के लिये कौन और कैसी योजनाओं को अमली जामा पहना रहा है। शहर के लोगों ने हर वार्ड से एक पार्षद को चुना है। पार्षद भी अगर बार-बार पार्टी लाईन की दुहाई देते नज़र आयें तो क्या कहा जाये। हालत देखकर लगता है कि पार्षद लोग पहले पार्टी के सदस्य हैं बाद में सिवनी के नागरिक!