(शरद खरे)
स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी किस तरह काम कर रहे हैं इस बात के अधीक्षण (सुपरविजन) के लिये जिले में जिला स्तर और विकास खण्ड स्तर पर अधिकारियों की खासी फौज होने के बाद भी इस तरह की स्थितियां निश्चित तौर पर चिंता का विषय मानी जा सकती हैं।
हाल ही में घंसौर तहसील के भिलाई स्थित उप स्वास्थ्य केद्र में रात को तीन बजे टॉर्च की रौशनी में प्रसव कराने का मामला प्रकाश में आया है। टॉर्च की रौशनी में प्रसव इसलिये करवाना पड़ा क्योंकि बिजली का बिल अदा न किये जाने के चलते बिजली विभाग के द्वारा उप स्वास्थ्य केंद्र की बिजली काट दी गयी थी।
बताया तो यह जा रहा है कि बिजली का बिल महीनों से बकाया था। अगर यह बात सत्य है तो विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी सहित दो-दो प्रभारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग के मुखिया प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी क्या करते रहे! आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि इस मामले में अखबारों और अन्य माध्यमों से जानकारी सार्वजनिक होने के बाद अब तक प्रशासनिक स्तर पर न तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जाँच के आदेश दिये गये हैं और न ही प्रशासन के द्वारा इसकी कोई खोज खबर ली गयी है।
इस मामले में एक बात और उभरकर सामने आ रही है। सीएमएचओ के द्वारा बार-बार झोला छाप चिकित्सकों एवं बिना वैध डिग्री के उपचार करने वालों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश तो जारी किये जाते हैं किन्तु इस मामले में अब तक किसी पर कार्यवाही नहीं हुई है, जिससे यही प्रतीत हो रहा है कि जिले में चिकित्सा का व्यवसाय करने वाले सभी कथित चिकित्सक सही काम कर रहे हैं।
उप स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव हुआ। निश्चित तौर पर प्रसव के उपरांत प्रसूता को दवाएं दी गयी होंगी, यक्ष प्रश्न यही है कि प्रसूता को दवाएं किस चिकित्सक ने लिखीं, जबकि उप स्वास्थ्य केंद्र में एक भी चिकित्सक नहीं रहता। इसका मतलब है कि पेरामेडिकल स्टॉफ ही इन स्थानों पर चिकित्सक की भूमिका में हैं। अगर इस बात को सही माना जाये तो सीएमएचओ के द्वारा बार-बार दी जाने वाली चेतावनियों को क्या बेअसर मान लिया जाये!
जिला अस्पताल के मजबूत भवन को और मजबूत बनाने, रंग रोगन करने अस्पताल मित्र योजना का आगाज़ किया गया है। सरकारी विज्ञप्तियों पर अगर यकीन किया जाये तो इसके तहत लोगों के द्वारा स्वेच्छा से सहयोग राशि भी दी जा रही है। अस्पताल मित्र की फेहरिस्त में जिले के विधायकों के भी नाम हैं। देखा जाये तो आज आवश्यकता इस बात की है कि इस मद में संग्रहित की गयी राशि का उपयोग इस तरह के उप स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने में किया जाना चाहिये। विधायकों को भी चाहिये कि वे अपनी-अपनी विधान सभा के उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की जानकारी लें और इन स्थानों पर जनरेटर आदि की व्यवस्था करने की कोशिश करें, क्योंकि जिन्होंने उन्हें जनादेश देकर विधानसभा की दहलीज पर भेजा है वे मतदाता ही इन अस्पतालों में उपचार करवाते हैं।

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