(शरद खरे)
सिवनी शहर देश क्या, दुनिया में शायद पहला ऐसा शहर होगा जिस शहर के व्यवसायिक क्षेत्रों में महिलाओं के प्रसाधन की कोई व्यवस्था नहीं है। यह तब है जबकि सिवनी का नेत्तृत्व सुश्री विमला वर्मा, श्रीमति प्रभा भार्गव, श्रीमति नेहा सिंह, श्रीमति नीता पटेरिया जैसी नेत्रियों ने किया हो।
वर्तमान में श्रीमति मीना बिसेन जिला पंचायत अध्यक्ष हैं तो श्रीमति प्रतीक्षा ब्रजेश राजपूत जनपद पंचायत अध्यक्ष एवं श्रीमति आरती शुक्ला नगर पालिका की मुखिया हैं। जिला पंचायत और जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी महिलाएं हैं। शहर में व्यवसायिक क्षेत्रों में अगर महिलाओं के लिये प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो यह वाकई में शर्म की ही बात मानी जा सकती है, जनप्रतिनिधियों के लिये।
बुधवारी बाजार, शुक्रवारी, भैरोगंज, गणेश चौक, बारापत्थर न जाने कितने क्षेत्र हैं जो आज व्यवसायिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो चुके हैं। रोज ही अनेक महिलाएं यहाँ पर खरीददारी करने आती होंगीं। इन महिलाओं के लिये प्रसाधन की व्यवस्था अगर नहीं है तो यह अपने आप में आश्चर्य से कम नहीं है।
महिलाओं के बीच माहवारी को लेकर जन जागृति फैलाने वाली पैड वूमेन माया विश्वकर्मा पिछले साल जब सिवनी आयीं तो वे यह जानकर हैरान रह गयीं कि इतनी सारी महिला नेत्रियों के होने के बाद भी जिला मुख्यालय में एक अदद महिला प्रसाधन घर नहीं है। इस दौरान बाहुबली चौराहे पर वे प्रसाधन खोजतीं यहाँ से वहाँ भटकती रहीं पर उन्हें प्रसाधन के लिये स्थल नहीं मिल पाया। उनके द्वारा इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया गया कि जिस स्थान पर रोगी कल्याण समिति की सौ से ज्यादा एवं अन्य निजि लगभग सत्तर से ज्यादा दुकानें हों वहाँ एक भी प्रसाधन का स्थान न हो तो इसे क्या माना जायेगा!
देखा जाये तो नगर पालिका परिषद को चाहिये कि वह व्यवसायिक स्थलों पर महिला और पुरूषों के लिये प्रसाधन के लिये पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराये। बुधवारी बाजार में एक स्थान पर पहले पुरूष प्रसाधन स्थल था पर उसे बंद कर दिया गया है। शुक्रवारी बाजार में नगर पालिका कॉम्प्लेक्स के प्रथम तल पर, बाहुबली चौराहे पर रोगी कल्याण समिति के प्रथम तल पर सुलभ शौचालय बनाया जा सकता है।
पता नहीं क्यों सिवनी के जनप्रतिनिधियों के द्वारा जिले की सुध क्यों नहीं ली जाती है। जिले की युवा तरूणाई भी सोशल मीडिया पर चौबीसों घण्टे देश और प्रदेश से जुड़े विषयों पर चर्चा कर अपनी ऊर्जा जाया करते दिख जाते हैं। स्थानीय मामलों में बहस करने और स्थानीय प्रतिनिधियों की जवाबदेही निर्धारित करने में मानों उन्हें भी शर्मिंदगी ही महसूस होती है।
संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि शहर में स्थान-स्थान पर प्रसाधन उपलब्ध हों इसके लिये नगर पालिका प्रशासन को पाबंद किया जाये। वैसे भी स्वच्छता के लिये प्रदेश और केंद्र सरकार के द्वारा लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर अभियान चलाया जा रहा है पर नगर पालिका प्रशासन है कि . . .