कुल 50 चिकित्सक भी नहीं हैं सीएमएचओ कार्यालय में पंजीकृत!

झोलाछाप चिकित्सकों की धर पकड़ हेतु सीएमएचओ . . . 04
पंजीकृत चिकित्सकों की जानकारी सार्वजनिक करने से क्यों कतराते हैं प्रभारी सीएमएचओ डॉ. श्रीवास्तव
(अखिलेश दुबे)


सिवनी (साई)। सिवनी में बाहर से आकर मरीजों के परिजनों की जेब तराशी करने वाले झोला छाप चिकित्सकों पर लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग का बस नहीं रह गया है। महाराष्ट्र के नागपुर एवं अन्य शहरों से सिवनी आकर सिवनी में मेडिकल स्टोर्स के अंदर बैठकर चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों पर कार्यवाही से वर्तमान प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव भी कतराते ही दिखते हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सालों से इस तरह के चिकित्सकों जो सीएमएचओ कार्यालय में पंजीकृत नहीं हैं, के खिलाफ सीएमएचओ कार्यालय के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में पिछले साल मार्च माह में सीएम हेल्प लाईन में हुई एक शिकायत को आधी अधूरी और अपूर्ण बताकर बंद करा दिया गया था। आवेदक के द्वारा जब इस मामले की शिकायत एक बार फिर सीएम हेल्प लाईन में की तो उसे भी बंद करा दिया गया। आवेदक ने हार नहीं मानी और लगातार ही बंद हो रही शिकायतों की परवाह न करते हुए अपनी बात सीएम हेल्प लाईन में रखना जारी रखा।
सूत्रों ने आगे बताया कि जब इस बात की जानकारी संभागीय स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा को लगी तो उनके द्वारा सीएमएचओ सिवनी कोे एक कड़ा पत्र लिखकर सिवनी में अवैध रूप से चिकित्सा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इस पत्र के बाद सीएमएचओ कार्यालय हरकत में आया और उसके द्वारा सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारियों एवं जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले साल सूचना के अधिकार के तहत सीएमएचओ कार्यालय के द्वारा दी गई जानकारी में जिले में महज आधा सैकड़ा चिकित्सकों ने ही सीएमएचओ कार्याल में क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट एक्ट के तहत पंजीयन कराया जाना दर्शाया गया था, जबकि सिवनी शहर में ही एक सैकड़ा चिकित्सक (स्थानीय और बाहर से आकर चिकित्सा करने वाले) अपनी दुकानदारी को चला रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि सीएमएचओ डॉ. आर.के. श्रीवास्तव अगर चाहें तो उनके ही कार्यालय में दर्ज पंजीकृत चिकित्सकों के नाम पते देखकर शेष चिकित्सकों को चिकित्सा से वंचित करने की कार्यवाही अगर कर दी जाती है तो मामला आईन के मानिंद साफ हो सकता है।
सूत्रों ने यह भी कहा कि पूर्व में प्रभारी सीएमएचओ रहे डॉ. चौहान के द्वारा अनेक सरकारी चिकित्सकों के निजि तौर पर संचालित दवाखानों की तालाबंद भी कर दी गई थी, किन्तु वर्तमान प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश श्रीवास्तव की कार्यप्रणाली के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा है। सूत्रों की मानें तो संभवतः इसी के चलते जिले के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश श्रीवास्तव को स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने का मशविरा भी दे दिया गया था।

(क्रमशः जारी)

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