मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण हेतु कम से कम तीन माह तक पूरी क्षमता के साथ काम करना होगा 70 फीसदी स्टॉफ को!

सिवनी में इस सत्र में शायद ही खुल पाए मेडिकल कॉलेज … 02

फिलहाल एनाटामी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की प्रयोगशालाएं तैयार करना होगा टेड़ी खीर . . .

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सोशल मीडिया पर सिवनी में चिकित्सा महाविद्यालय के आरंभ होने को लेकर जमकर जश्न जैसा माहौल अवश्य हो पर इसकी जमीनी हकीकत क्या है यह जानने के लिए अगर किसी एमबीबीएस चिकित्सक से इस बारे में चर्चा कर ली जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है।

उक्ताशय की बात प्रदेश शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही। सूत्रों का कहना था कि सिवनी के सांसदों और विधायकों के द्वारा अगर पूरी क्षमता से ईमानदार प्रयास किए तो शैक्षणिक सत्र 2025 – 2026 में सिवनी के मेडिकल कॉलेज का नाम नीट की परीक्षा के उपरांत सफल विद्यार्थियों के लिए होने वाली काऊॅसलिंग के लिए कंप्यूटर पर दिख सकता है।

सूत्रों ने आगे बताया कि मध्य प्रदेश में मंदसौर, नीचम, सिंगरौली, नीचम, श्योपुर और सिवनी के मेडिकल कॉलेजेस को आरंभ करवाने के लिए भर्ती प्रक्रिया लगभग तीन चार माह पूर्व आरंभ किए जाने के बाद भी अभी तक इन कॉलेजेस में चालीस फीसदी से कम स्टॉफ की ही भर्ती हो पाई है, जबकि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के नार्मस के अनुसार कम से कम 70 फीसदी स्टॉफ का निरीक्षण के दौरान कागजों पर होना पहली शर्त होता है।

सूत्रों ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन के मापदण्डों के अनुसार अहर्ताएं पूरी करने में इन आयुर्विज्ञान महाविद्यालय के प्रशासन को नाकों चने चबाने पड़ सकते हैं, क्योंकि एनएमसी के नार्मस बहुत सख्त हैं और इनमें किसी भी तरह की गफलत की संभावनाएं नहीं के बराबर ही रहती हैं। इसी तारतम्य में हाल ही में मेडिकल टीचर एसोसिएशन के द्वारा विभाग के आयुक्त तरूण पिथोड़े को पत्र भी लिखा है।

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एनएमसी को आवेदन देने के बाद होगा मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण!

उधर, एनएमसी के भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रदेश के लगभग आधा दर्जन चिकित्सा महाविद्यालयों को आरंभ करवाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार एडीचोटी एक करती दिख रही है, पर एनएमसी के मापदण्डों के हिसाब से अभी इन सभी महाविद्यालयों को कुल स्वीकृत स्टॉफ का सत्तर फीसदी स्टॉफ पूर्णकालिक तौर पर भर्ती करने के बाद कम से कम तीन माह तक उस स्टॉफ के साथ काम करना होगा। इसके बाद ही उक्त कॉलेज के द्वारा एनएमसी को निरीक्षण के लिए आवेदन करना होगा। फिलहाल तो आवेदन की स्टेज ही नहीं आई है, इस लिहाज से शैक्षणिक सत्र 2024 – 2025 में सिवनी सहित आधा दर्जन प्रतीक्षारत चिकित्सा महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के दाखिले की बात दिन में स्वप्न देखने जैसी ही मानी जा सकती है।

सूत्रों का यह भी कहना था कि भले ही एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में एनाटामी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की क्लीनिकल क्लासेस आरंभ नहीं होंगी, पर द्वितीय वर्ष से यह आरंभ हो जाएंगी, पर इसके लिए इन तीनों विषयों विशेषकर एनाटामी के लिए प्रयोगशाला का होना सबसे अनिवार्य शर्त होगी। विद्यार्थियों को मानव अंगों की पहचान, शरीर के विभन्न आर्गन्स, शरीर में उनकी स्थिति आदि का ज्ञान पता करने के लिए डेढ़ सौ विद्यार्थियों के लिए कम से कम तीन मृत मानव शरीर एवं उतनी ही टेबिल की आवश्यकता होगी।

ज्ञातव्य है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा 2018 के विधानसभा चुनावों के एन पहले सिवनी में चिकित्सा महाविद्यालय खोलने की न केवल घोषणा की थी, वरन सिवनी में इसके लिए भवन के निर्माण हेतु निविदा भी आमंत्रित करवा दी थी। भाजपा का आरोप है कि कमल नाथ के नेतृत्व में जब कांग्रेस की सरकार प्रदेश पर काबिज हुई तब सिवनी के मेडिकल कॉलेज का काम रोक दिया गया था। वर्तमान में लगभग 300 करोड़ रूपयों की लागत से इस भवन के प्रथम चरण के निर्माण का काम पूर्णता की ओर है। सिवनी सहित अन्य उन मेडिकल कॉलेज जो आरंभ होने हैं में दाखिले सिर्फ और सिर्फ नेशनल मेडिकल कमीशन की अनुमति के उपरांत ही संभव हो पाएंगे। एनएमसी के सूत्रों की मानें तो दिल्ली अभी बहुत दूर ही दिखाई दे रही है।

(क्रमशः जारी)