पहली बार दिखा रहा नौ तपा अपना असर, दिन और रात झुलस रहे भट्टी के मानिंद

गर्मी में रखें पूरी सावधानी, फिलहाल रात भी रह सकती हैं गर्म, सोशल मीडिया पर ही होता दिख रहा वृक्षारोपण
(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मई के माह में भगवान भास्कर अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं। दिन और रात दोनों ही भट्टी की तरह तप रहे हैं। दरअसल, न्यूनतम तापमान बहुत ज्यादा होने से चौबीसों घंटे गर्मी का अहसास हो रहा है। 30 मई के बाद धीरे धीरे गर्मी का प्रकोप कम होने की उम्मीद है।
गर्मी का यह प्रकोप बीच में कुछ कम हुआ था। पश्चिम की तरफ से पूर्व की ओर हवा की दिशा बदली थी। थोड़ी सी राहत लोगों को मिली थी। लेकिन इसके बाद फिर सूरज की तपन ने लोगों को झुलसा दिया है। आलम यह है कि यही प्रतीत हो रहा है कि सूर्य भी अब पूरी ताकत के साथ आग उगलने लगा है। दिन का तापमान तो जला ही रहा है। रात का बढ़ता पारा भी शरीर को झुलसाने लायक हो चुका है।
आलम यह है कि रात में ठण्डक नहीं होने और तपन बरकरार रहने से लोग रात में ढंग से सो नहीं पा रहे हैं। इससे उनका पूरा दिन खराब हो रहा है। रात का ठंडा नहीं होना यानी अगले दिन और ज्यादा गर्मी। इससे शारीरिक परेशानियां हो रही हैं। मानसिक समस्याएं भी हो रही हैं। सबसे ज्यादा समस्या बुजुर्गों और बच्चों को हो रही है।
फिलहाल जो गर्मी है, उसके पीछे एक वजह पश्चिम से आ रही गर्म हवा भी है। इससे रेगिस्तानी गर्मी बहकर उत्तर-पश्चिम के मैदानी इलाकों में आती है। इसकी वजह से दिल्ली और उसके आसपास का तापमान तेजी से बढ़ जाता है। पारा 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर ही रहता है।
बुजुर्गों के अनुसार लगभग चार पांच दशकों में पहली बार ही नौ तपा में दिन और रात झुलसते हुए वे देख रहे हैं। उनके अनुसार हरियाली कम हो रही है, जिससे मौसम बदलता दिख रहा है। अगर अभी भी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को इसका भोगमान भोगना ही होगा।
वर्तमान में पूरे देश में पसीना छुड़ाने वाली गर्मी है। तत्काल गर्मी से राहत नहीं मिलेगी। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिनों में और गर्मी पड़ेगी। मौसम विज्ञानियों को एक उम्मीद की किरण दिख रही है। उनका कहना है कि देश के पश्चिमी हिस्से में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन सकता है। इससे अरब सागर की नमी खिंच कर देश के मैदानी इलाकों तक आएगी। तब जाकर गर्मी से थोड़ी राहत मिल सकती है।
मौसम विज्ञान केंद्र के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि दरअसल, विकास के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और उन पेड़ों के स्थान पर कागजों पर वृक्षारोपण के चलते ही गर्मी का दौर धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है। सड़कों, भवनों आदि के निर्माण के लिए पेड़ तो काटे जाते हैं, पर एक पेड़ को काटने के स्थान पर दस पेड़ लगाने का प्रावधान सिर्फ कागजों पर ही दिखाई देता है, जबकि सड़क निर्माण के दौरान ही पौधों को सडकों के किनारे लगा दिया जाना चाहिए ताकि सड़क निर्माण कर रहे ठेकेदार के द्वारा सड़क को पूर्ण करते समय तक उनकी देखरेख की जा सके और उसके बाद पेड़ खुद ब खुद बड़े हो सकें।
वहीं, सोशल मीडिया पर वृक्षारोपण की इबारत लिखने वाले भी जमीनों पर पेड़ लगाते नहीं दिखते हैं। इस तरह की अलख जगाने वालों के द्वारा भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों, स्थानीय प्रशासन को जमीनी स्तर पर वृक्षारोपण के लिए बाध्य नहीं किया जाता है, और न ही कट रहे पेड़ों के स्थान पर पौधे लगाए जाने पर प्रश्न ही किए जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप पेड़ों की तादाद दिनों दिन विस्फोटक तरीके से कम होती दिख रही है।

रखें स्वास्थ्य का ध्यान …

लू, गर्म हवा अथवा हीटवेव में बाहर निकलना ठीक नहीं है। लेकिन ध्यान रहे चिलचिलाती गर्मी को हल्के में लेना बहुत ख़तरनाक हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार हीटवेव मानव शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। हीटवेव या लू के चलते चक्कर आना, सिरदर्द, बेहोशी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। लू लगना या हीटवेव की चपेट में आना कई बार गंभीर परिणाम दे सकता है। यह गंभीर निर्जलीकरण और ब्लड प्रेशर में गिरावट का कारण भी बन सकता है।
जानकारों की मानें तो लंबे समय तक बढ़े तापमान में रहने से दिल, फेफड़े, गुर्दे, लिवर और दिमाग जैसे अंगों पर भी खतरा बढ़ता है। यह मस्तिष्क में सूजन का कारण भी बन सकता है। इससे घातक हीटस्ट्रोक भी हो सकता है। इसलिए गर्मी के मौसम में दोपहर में बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें एवं जब निकलें तक भूखे पेट कतई नहीं निकलें। इस दौरान पेय पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करते रहें।

कितना तापमान सह सकता है इंसानी शरीर?

जानकारों के अनुसार इंसान गर्म खून वाला स्तनधारी जीव है। हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का काम एक खास तंत्र ‘होमियोस्टैसिस‘ करता है। एक्सपटर्स के अनुसार इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 98.9 डिग्री फॉरेनहाइट होता है। इससे ज्यादा तापमान होने पर माना जाता है कि शरीर में बुखार की स्थिति है। वैज्ञानिकों के अनुसार इंसान का शरीर 42 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकता है। इससे ज्यादा तापमान होने पर पीले रंग का मूत्र विसर्जन, पतली टट्टी, चक्कर आना, बुखार आदि जैसे लक्षण हो सकते हैं। किसी भी तरह के असमान्य लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।