आजीविका मिशन से जुड़कर गीता सांडिल्य के जीवन में आया सकारात्मक परिवर्तन

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले के केवलारी विकासखंड के ग्राम पंचायत उगली की श्रीमती गीता सांडिल्य सरस्वती महिला आजीविका स्वसहायता समूह से जुड़ी है। श्रीमती गीता सांडिल्य बताती है कि समूह से जुड़ने के पूर्व उनका परिवार मजदूरी करके जीवन यापन करता था तथा पारिवारिक आय बहुत कम थी। वह बताती है कि कम आय के कारण घर की आजीविका चलाना कठिन होता था।

श्रीमती गीता सांडिल्य बताती है आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ने से पूर्व उनकी एवं उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। घर का खर्च चलाने के लिए वह भी अपने पति के साथ मजदूरी का कार्य करती थी लेकिन कई बार काम न मिलने से खाली हाथ घर आना पड़ता था। वह बताती है कि उन्हें स्थानीय ग्रामीणों से आजीविका मिशन के अंतर्गत बन रहे स्व सहायता समूह के बारे में पता चला तब गीता सांडिल्य ने आजीविका मिशन कार्यकर्ता से मिलकर समूह के बारे में जानकारी ली और समूह से जुड़ने के फायदे के बारे में जाना और फिर गीता सांडिल्य ने अपने गाँव में स्व सहायता समूह बनाने का निर्णय लिया और गीता सांडिल्य दीदी ने अपने गाँव की महिलाओं को समूह के महत्व और उपयोगिता के बारे में बताया और 12 महिलाओं के साथ मिलकर सरस्वती स्व सहायता समूह का गठन किया, चॅूंकि गीता सांडिल्य काफी सक्रिय महिला थी इसलिए सभी समूह के सदस्यों ने मिलकर गीता सांडिल्य को समूह का अध्यक्ष बनाया और अपने समूह से 25 रुपये प्रति सप्ताह बचत करना तय किया गया एवं अपना बचत खाता मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक में खुलवाया और समूह की बचत बैंक में जमा करना शुरू किया और फिर समूह को आजीविका मिशन के तहत 12000 रुपये रिवॉल्विंग फण्ड की राशि मिली। तत्पश्चात मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक की शाखा उगली द्वारा समूह की प्रबंधन स्थिति एवं आवश्यकता को देखते हुए समूह को नगद सीमा की स्वीकृति देते हुए 1 लाख रूपये की राशि ऋण के रूप में दी गयी।

गीता सांडिल्य के जीवन में बडा परिवर्तन आजीविका मिशन के कर्मचारियो की समझाइश पर मत्स्य विभाग के माध्यम से मत्स्य पालन के प्रशिक्षण प्राप्त करने से आया। वह बताती है कि मत्स्य पालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने प्रोत्साहित होकर मत्स्य बीज एवं अन्य उपकरणों के लिए समूह से 40 हजार रूपये का ऋण प्राप्त किया तथा अपने ग्राम के ही तालाब को पट्टे में लेकर अपने पति के साथ मत्स्य पालन का कार्य प्रारंभ किया गया। इस कार्य में उन्हें सफलता प्राप्त हुई और मत्स्य पालन गतिविधि से उनकी पारिवारिक आय में लागातार बढोत्तरी होने लगी। जिससे प्रोत्साहित होकर उन्होंने अपने तालाब मे मछली पालन के साथ-साथ कमल के फूल की खेती करने का निर्णय लिया। थोडे ही समय में कमल के फूल एवं कमल गट्टे का उत्पादन प्रारंभ हो जाने से उन्हें अतिरिक्त आय भी होने लगी।

गीता सांडिल्य दीदी ने अपनी आय से ग्राम उगली में पक्का मकान बना लिया है, अब गीता सांडिल्य को मजदूरी करने नहीं जाना पड़ता है। गीता सांडिल्य दीदी सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय रही है और समाज कल्याण के कार्यों में भी भागीदारी करती रही है। गीता सांडिल्य उगली क्षेत्र के अन्य समूहो के लिये एक मिशाल बन गई है। वह कमल के फूल की खेती के विषय आस-पास के ग्रामों के समूहों को प्रशिक्षण भी दे रही है। गीता सांडिल्य उनके एवं उनके परिवार के जीवन में आए इस सकारत्मक परिवर्तन के लिए राज्य आजीविका मिशन एवं राज्य सरकार का धन्यवाद देते नहीं थकती।