मरीज के परिजनों के द्वारा हंगामा करने पर अस्पताल ने सेटिल किया 10 हजार में बिल! कहां से आया था तीन यूनिट ब्लड!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की कथित अनदेखी का ही नतीजा माना जा सकता है कि सिवनी जिले में गैर पंजीकृत अस्पतालों और चिकित्सकों की बाढ़ आ चुकी है। दमोह में बिना डिग्री के एक चिकित्सक के द्वारा अनेक लोगों को मौत के घाट उतारने का मामला प्रकाश में आने के बाद भी स्वास्थ्य महकमा अब तक हरकत में नहीं आ पाया है। सिवनी में चिकित्सकों, अस्पतालों आदि की जांच भी मुकम्मल नहीं हो पाई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उपनगरीय इलाके छिड़िया पलारी, बरघाट रोड में श्री कृष्णा केयर मल्टीस्पेशियालिटी हास्पिटल का संचालन किया जा रहा है। 11 अप्रैल को दोपहर में एक मरीज के परिजनों से बिल की वसूली को लेकर यहां हंगामा होता दिखाई देने पर कुछ लोगों के द्वारा समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को इसकी सूचना दी गई और बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा महज एक दिन का बिल 23000 रूपए चार्ज किया जा रहा है।
इसके बाद उनके द्वारा समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को व्हाट्सऐप पर एक बिल की प्रति भेजी गई जो श्री कृष्णा केयर मल्टीस्पेशियालिटी हास्पिटल का था एवं उसमें दो नंबर लिखे हुए थे, बिल पर बिल नंबर अंकित था पर हस्ताक्षर किसी के भी नहीं थे। इसमें अंकित मोबाईल नंबर 9584749412 डॉ. देवेंद्र सिंह एवं 7587033168 श्री बालाजी केयर हास्पिटल के नाम पर ट्रू कालर में दर्शा रहा है। इसमें अस्पताल का पंजीयन नंबर भी दिखाई नहीं दे रहा है। अगर अस्पताल पंजीकृत है तो उसका पंजीयन नंबर उसके बिल में अंकित होना चाहिए था।
इस बिल में आईसीयू रूम का 4000 रूपए प्रतिदिन, कंसलटेंट का एक हजार रूपए प्रतिदिन, मानीटर का 1500 रूपए प्रतिदिन, आक्सीजन का 1500 रूपए प्रतिदिन, नर्सिंग का 500 रूपए प्रतिदिन, क्रास कंसलटेंट का 1500 रूपए, केथेटराईजेशन का 700 रूपए, तीन बॉटल खून चढ़ाने का 900 रूपए के हिसाब से 2700 रूपए, आरबीएस का 300, निंबूलाईजेशन का 300 और एमआरडी मद में 1000 रूपए लिखे हुए थे। इस तरह कुल 23 हजार 500 रूपए का बिल बिना हस्ताक्षर के मरीज के परिजनों को थमा दिया गया। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को सूचना देने वालों ने थोड़ी देर में बताया कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा मरीज के परिजनों से 10 हजार रूपए में सौदा तय कर उनके मरीज को घर ले जाने की अनुमति दे दी गई थी।
इधर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस बिल में तीन बॉटल खून चढ़ाने का उल्लेख भी है। नियमानुसार खून चढ़ाने के लिए अस्पताल का अपना ब्लड बैंक होना चाहिए। अगर ब्लड बैंक नहीं है तो फिर निकटतम ब्लड बैंक से रिक्यूजीशन फार्म और डोनर के जरिए खून की व्यवस्था की जाती है।
सूत्रों ने कहा कि सवाल यही खड़ा हुआ है कि अस्पताल में तीन यूनिट ब्लड लगाने के चार्ज लिए गए हैं। ये तीन बॉटल खून कहां से आया! चूंकि सिवनी में जिला चिकित्सालय में ब्लड बैंक है और उसका पूरा रिकार्ड रहता है इस लिहाज से तीन यूनिट ब्लड के लिए मांग पत्र संबंधित अस्पताल के द्वारा भेजा गया अथवा नहीं यह शोध का विषय है। इतना ही नहीं तीन यूनिट ब्लड के लिए डोनर कौन थे यह बात भी शोध का ही विषय मानी जा सकती है।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि दमोह में एक बिना डिग्री वाले चिकित्सक के द्वारा अनेक जिंदगियों के साथ खिलवाड़ किए जाने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव इस मामले में संजीदा नजर आ रहे हैं और अनेक जिलों में पंजीकृत चिकित्सकों की जांच भी आरंभ हो चुकी है पर सिवनी में गैर पंजीकृत चिकित्सक और अस्पताल बहुत ही मजे से मरीजों के परिजनों की जेबतराशी करते नजर आ रहे हैं।
यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि अगर आप सीएम हेल्प लाईन में गैर पंजीकृत चिकित्सकों की जांच के लिए शिकायत करते हैं तो आपकी शिकायत को फोर्स क्लोज कर दिया जाता है। एक आवेदक के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के इस तरह क रवैए के चलते तो जिलाधिकारी को एक आवेदन देकर उनकी शिकायत के बजाए सीएम हेल्पलाईन को बंद करवाने तक की बात कही है।

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