बिना शिक्षक कैसे पढ़े विद्यार्थी!

 

स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक, दोनों नदारद

(ब्यूरो कार्यालय)

किंदरई (साई)। एक-एक दिन स्कूल जाकर शिक्षक बने शिक्षक ही जब अच्छा खासा वेतन पाकर देश के नौनिहालों के भविष्य को संवारने के लिए, उन्हें पढ़ाने के लिए स्कूल नहीं पहुंचे तब शिक्षक विहीन स्कूल में अध्ययनरत छात्रों का भविष्य कैसा होगा? यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

सरकारी स्कूल में छात्रों की दर्ज संख्या बढ़े, इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। स्कूल में मध्यान्ह भोजन, निरूशुल्क साइकिल वितरण, निरूशुल्क किताबें आदि वितरण कर रही है लेकिन शहरी क्षेत्र के स्कूल हो या सुदूर अंचल क्षेत्र के स्कूल स्थिति ठीक नहीं है।

जनपद शिक्षा केंद्र घंसौर के अंतर्गत जन शिक्षा केंद्र किंदरई के शासकीय प्राथमिक शाला बुढऩा में सोमवार को डेली अपडाउन करने वाले स्कूल में पदस्थ दो शिक्षकों में से एक भी शिक्षक-शिक्षिका स्कूल नहीं पहुंची। स्कूल की चाबी जिन छात्रों को प्रतिदिन सौंप दी जाती है वे विद्यार्थी और अन्य विद्यार्थी सोमवार को निर्धारित समय पर पढ़ाई करने के लिए उत्साह से स्कूल पहुंचे।

स्कूल पहुंचे लगभग 16 छात्र-छात्राओं ने यहां पदस्थ एक प्रधान पाठक शिक्षक और एक शिक्षिका के आने का काफी इंतजार किया। वहीं कुछ छात्र स्कूल परिसर में खेलते-कूदते रहे। कुछ गिट्टी, पत्थर एक दूसरे को फेककर खेलते नजर आए। सड़क किनारे बाऊण्ड्रीबॉल विहीन स्कूल में बच्चे तेजी से कभी सड़क की ओर तो कभी सड़क से स्कूल की ओर दौड़ते-भागते नजर आए। बच्चों को मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला भी स्कूल पहुंची और बच्चों को भोजन बनाने में जुट गई। दोपहर का समय बीतने और स्कूल बंद होने तक उक्त स्कूल में न तो प्रधान पाठक स्कूल पहुंचे और न ही शिक्षिका।

छात्र ने सम्भाला मोर्चा, ली क्लास : दो कमरों में विद्यार्थी शिक्षक के पहुंचने और पढ़ाई होने की आस में काफी देर तक बैठे रहे। वहीं एक कमरे में कक्षा पांचवीं का छात्र राजकुमार ने स्कूल के बाहर खेलकूद कर रहे विद्यार्थियों को बुलाकर एक शिक्षिक की भूमिका अदा करते हुए हाथ में पुस्तक लेकर पढ़ाने जुट गया। जबकि दूसरे कक्ष के विद्यार्थी शिक्षिक-शिक्षिका के नहीं आने से मायूस बैठे रहे। वहीं राधा-कृष्ण स्व सहायता समूह की महिला रसोईया ने सभी बच्चों के लिए भोजन तैयार कर उन्हें मध्यान्ह भोजन भी समय पर कराया।