आबकारी विभाग कतराता है शराब पकड़ने से!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। सिवनी जिले में अवैध रूप से शराब बेचे जाने का सिलसिला पूरे शवाब पर होने के बाद भी प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग पा रही है। जिले के दो सांसद और चार विधायक भी इस मामले में पूरी तरह मौन ही नज़र आ रहे हैं। आज जिले के गाँव-गाँव में अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शराब दुकान की ओर स्कूल कॉलेज पढ़ने वाले नाबालिग बालक भी रूख करने लगे हैं जो आने वाले समय के लिये शुभ संकेत कतई नहीं माने जा सकते हैं। कमोबेश प्रत्येक शराब दुकान में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। आबकारी विभाग चाहे तो इसके फुटेज देखकर इस बात की तसदीक कर सकता है कि नाबालिग बच्चे शराब खरीद रहे हैं अथवा नहीं!
वहीं, देशी शराब दुकानों के हाल तो बेहाल ही हैं। देशी शराब दुकान जिस क्षेत्र में भी खुली है वहाँ के रहवासियों को मानो नारकीय जीवन की यातनाएं मिल रहीं हैं। निचले तबके के लोग शराब भट्टी में जाकर शराब का सेवन करने के बाद जिस तरह से असंसदीय भाषा का उपयोग करते हुए तेज आवाज में गाली गलौच करते हैं उससे सभ्य समाज की कोई भी महिला शरमा जाये।
शराब दुकानों के आसपास फैली गंदगी देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके संचालकों के द्वारा साफ सफाई का कितना ध्यान रखा जा रहा है। शराब दुकानों के अहातों में घटिया किस्म के पानी के पाऊच भी बेचे जा रहे हैं जिनकी निर्माण या अवसान तिथि वहाँ की मद्धिम रौशनी में दिखायी नहीं पड़ती है।
इसके साथ ही शराब को वैसे भी सामाजिक बुराई ही माना गया है। इसके बावजूद भी शराब बंदी की ओर किसी भी नेता का ध्यान नहीं है। जिले के विधायक सांसदों के द्वारा भी शराब बंदी के लिये सुर बुलंद नहीं किये गये हैं। बताया जाता है कि शराब कंपनियों के द्वारा उनका निर्धारित लक्ष्य पूरा करने पर विदेशों के टूर पैकेज भी दिये जाते हैं जिसके चलते शराब ठेकेदारों द्वारा गाँव – गाँव शराब बिकवाकर लक्ष्य को पूरा किया जाता है।
प्रदेश सरकार के द्वारा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के कड़े निर्देश दिये जाने के बाद भी सिवनी जिले के ग्रामीण अंचलों में बेखौफ होकर शराब बिकवाने वाले माफियाओं की मश्कें कसने में प्रशासन सक्षम दिखायी नहीं दे रह रहा है। पुलिस के द्वारा यदा कदा शराब के अवैध परिवहन को पकड़ा जाता है पर इसके पीछे कौन सा शराब माफिया है, इस बारे में पता करने की फुर्सत पुलिस को नहीं रहती है।
आबकारी विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि महज़ रस्म अदायगी के लिये आबकारी विभाग के द्वारा कच्ची शराब के ठिकानों पर दबिश देकर कच्ची शराब को ही जप्त किया जाता है। आबकारी विभाग के द्वारा लंबे समय से जिले में बिक रही अवैध शराब के खिलाफ मुहिम नहीं छेड़ी गयी है जो अनेक संदेहों को जन्म दे रही है।
जिले भर की शराब दुकानों को रिहायशी इलाकों से अलग हटाने की माँग लंबे समय से किये जाने के बाद भी शराब दुकानों का स्थान परिवर्तन न किया जाना आश्चर्य जनक ही माना जायेगा। इतना ही नहीं स्थानीय निकायों के द्वारा इस बात को भी नहीं देखा जाता है कि जिस स्थान पर शराब दुकान संचालित हो रही है उस दुकान को व्यवसायिक प्रयोजन के लिये मकान मालिक के द्वारा तब्दील कराया गया है अथवा नहीं!

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