पेयजल की रह गई कमी, 02 किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है पीने का पानी
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सिवनी विकास खण्ड के परासिया ग्राम में एक इस तरह की शाला का संचालन किया जा रहा है जिसमें लगभग सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां बस कमी रह गई है तो पेयजल की, विद्यार्थियों को पेयजल के लिए दो किलो मीटर दूर का सफर तय करना पड़ता है।
कहा जाता है कि गांव में शहर की आत्मा बसती है और विषम परिस्थति में जो व्यक्ति आगे बढ़ते है उनका भविष्य उज्जवल होता है ऐसी ही भावना को लेकर सिवनी विकास खंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम परासिया में शासकीय प्रायमरी, माध्यमिक एवं हाईस्कूल को संचालित किया जा रहा है। लगभग 05 एकड़ भूमि में बने इस शाला में नगरों की तरह वह सब उपलब्ध है जिसकी विद्यार्थियों को अपेक्षा रहती है।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक : एक शाला एक परिसर की भावना को लेकर यहां पर शाला परिवार बच्चों का संर्वागीण विकास के लिए दृढ़ संकल्पित दिखते है। प्राचार्य घूरसिंह चिंरोजा ने बताया कि विगत 02 वर्षाे से यहां पर पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए अनेक वृक्ष लगाये गये है, जो अधूरी चार दीवारी के कारण पल्लवित नही हो पा रहे है।
प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय का ले रहे लाभ : शाला में जहां प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला के लिए मध्यान्ह भोजन का संचालन शासन द्वारा किया जा रहा है। वहीं शाला परिवार द्वारा यहां पर विद्यार्थियों को प्रयोग के लिये सुसज्जित प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय की व्यवस्था की गई है।
शाला की छात्रा साक्षी भारद्वाज, अनीता नागेन्द्र, सोनिका तेकाम, अनीता गजभिये, शीतल भारद्वाज, रंगीता धुर्वे एवं छात्र योगेश उईके, अजय भारती, जुबेर खान, छवि पाटिल, भानू पन्द्रे, नंद किशोर पंचेश्वर ने बताया कि उनके द्वारा प्रतिदिन पुस्तकालय में अध्यापन कार्य किया जाता है।
विद्यार्थियों का कहना है कि अगर पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या में इजाफा किया जाता है तो इसका लाभ विद्यार्थियों को मिल सकेगा। इसी तरह प्रयोगशाला में भी विद्यार्थियों के द्वारा नियमित प्रयोग किये जाते हैं। शाला में विद्यार्थियों के लिये कम्प्यूटर का अभाव जरूर खलता है। अगर जनप्रतिनिधी एवं प्रशासन रूची लेता है तो निश्चित ही यह शाला जिले में आदर्श शाला के रूप में अपना विशिष्ट स्थान बना सकती है।
नवाचार पर जोर दे रहे शिक्षक : इस शाला में शिक्षक परिवार में आरके डेहरिया, डीएस सिजोतिया, एमएस गजभिये, केएल धुर्वे, संगीता ठाकरे, एएस राजपूत, एसके राय, डीएस धुर्वे, जीएस उईके, व्हीके साहू, सीएल उईके, कल्पना राय, डीके उपाध्याय द्वारा विद्यार्थियों को हर तरह से नैतिक शिक्षा एवं नवाचार से जोडऩे का प्रयास किया जाता है।
जलसंकट से बढ़ जाती है परेशानी : इस शाला की सबसे बड़ी समस्या पानी की है। यहां पर एक कुंआ तो है लेकिन जनवरी माह के बाद इस कुंए में पानी नही रहता ऐसी स्थिति में 02 किलो मीटर दूरी से विद्यार्थियों हेतु पीने के लिए पानी बुलवाना पड़ता है। स्वच्छता के क्षेत्र में यह स्कूल अग्रणी दिखता है और नियमित साफ सफाई को लेकर शाला परिवार प्रयासरत है।

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