पुरातत्व संग्रहालय को भी बिसार दिया प्रशासन ने!

 

 

0 प्रशासन लिखवा रहा जिले का नया इतिहास . . . 07

सिवनी की सरकारी वेब साईट से भ्रमित हो सकते हैं सैलानी!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। कोई सैलानी जब किसी भी पर्यटन स्थल का भ्रमण करना चाहता है तो संचार क्रांति के युग में उसके द्वारा सबसे पहले इंटरनेट पर उस स्थान अथवा जिले के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की जाती है। सिवनी जिले की सरकारी वेब साईट को देखकर सैलानी भ्रमित भी हो सकते हैं।

सिवनी के नागरिकों से दूरी बनाये रखने के कारण प्रशासन को सिवनी जिले के नागरिकों की वास्तविक जरूरतों, इतिहास, भौगोलिक परिस्थितियों आदि की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। जिला प्रशासन पर कतिपय अधिकारियों, कर्मचारियों के द्वारा अघोषित तौर पर कब्जा किये जाने के कारण इस तरह की स्थितियां निर्मित हो रहीं हैं।

इतिहास के जानकारों का मानना है कि सिवनी जिले के धार्मिक, ऐतिहासिक, सामरिक महत्व की चीजों को सिवनी की आधिकारिक वेब साईट में स्थान दिया जाना चाहिये था। वहीं, जिले के इतिहास को लेकर अब तक लिखी गयी किताबों आदि का बारीकी से अध्ययन किया जाकर इस वेब साईट में स्थान दिया जाना चाहिये था।

इतिहास के जानकारों का मानना है कि जिला मुख्यालय में कलेक्टर कार्यालय प्रांगण में स्थित पुरातत्व संग्रहालय में जिले भर से एकत्र की गयी ऐतिहासिक, सामरिक, धार्मिक महत्व की चीजों को सहेजकर रखा गया है। इस संग्रहालय का भ्रमण कर लोग रोमांचित भी होते हैं।

जानकारों का कहना है कि प्रशासन के द्वारा अगर पुरातत्व संग्रहालय में संग्रहित चीजों को ही सिलसिलेवार विस्तार से सिवनी की आधिकारिक वेब साईट में स्थान दे दिया जाता तो यह लोगों के लिये बहुत ही उपयोगी होती। वस्तुतः ऐसा न किया जाकर इसमें जिले के महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में एक लाईन में ही दर्शाया गया है, उनका विस्तार से वर्णन नहीं किये जाने के कारण सैलानियों सहित युवा पीढ़ी इससे दिग्भ्रमित हुए बिना नहीं रहेगी।

जानकारों का कहना है कि इस संग्रहालय में पाषाण युग से वर्तमान समय तक की जिले की विरासत को सहेजकर रखा गया है। इस संग्रहालय में शिलालेखों, इमारतों के छायाचित्र, प्रतिमाओं आदि को रखा गया है। चूँकि इस संग्रहालय के बारे में प्रशासन के द्वारा अब तक ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया गया है इसलिये लोग इसके बारे में कम ही जानते हैं।

इस संग्रहालय में शैव, वैष्णव, जैन प्रतिमाओं को देखा जा सकता है। माना जाता है कि त्रिपुरी काल में निर्मित प्रतिमाएं भी इस संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही हैं। जिले पर गौंड राजाओं का प्रभुत्व रहा है इस लिहाज से इस संग्रहालय में उस काल की प्रतिमाएं भी बहुतायत में दिखायी देती हैं।

संग्रहालय में घंसौर के मझगवां से लायी गयी बारहवीं सदी की माता पार्वती की प्रतिमा है। इसके अलावा दसवीं शताब्दी की प्रतिमाएं भी इस संग्रहालय में देखने को मिल जाती हैं। यहाँ अष्टभुजा वाली देवी, यक्ष यक्षाणी की प्रतिमाएं भी लोगों का मन बरबस ही मोह लेतीं हैं।

इस संग्रहालय में रेतीले पत्थर से बनायी गयी प्रतिमाएं भी हैं। यहाँ नृत्य की मुद्रा में गणेश भगवान की प्रतिमा भी है। इसके साथ ही भगवान विष्णु के दशावतार वाली प्रतिमा है। मजे की बात यह है कि इस संग्रहालय में प्रवेश निःशुल्क होने के बाद भी जिले के लोग प्रचार प्रसार के अभाव में यहाँ नहीं जा रहे हैं, यही कारण है कि कई कई बार तो दिन में एक भी दर्शक इस संग्र्रहालय में नहीं पहुँचता है।

(क्रमशः जारी)