वट वृक्ष को साक्षी मान गुड्डे-गुड़ियों का रचाया विवाह

 

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। अक्षय तृतीया के दिन स्वयं सिद्ध शुभ मुहूर्त होता है। घंसौर में अक्षय तृतीया पर गुड्डे – गुड़ियों की शादी के लिये बच्चों ने सुबह से ही तैयारियां करते हुए नगर के बड़े जैन मंदिर के पीछे वट वृक्ष के नीचे बच्चों ने गुड्डे – गुड़ियों की शादी की।

अक्षय तृतीया का पर्व जिले भर में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। ग्रामीण अंचलों में इस त्यौहार को विशेष रूप से मनाया जाता है। गुड्डे – गुड़ियों की शादी परंपरागत ढंग से की जाती है। परिजनों ने भी इस विवाह में बच्चों का सहयोग कर उनका उत्साह वर्धन किया।

नगर के बड़े जैन मंदिर के पीछे प्राचीन बरगद के पेड़ के नीचे बच्चों ने उत्साह पूर्वक गुड्डा – गुड़िया की शादी करायी। बालिकाओं के द्वारा बनाये गये अपने – अपने गुड्डा – गुड़ियों की शादी रचायी गयी। इस अवसर के लिये मोहल्ले को रंग बिरंगी, तोरन से सजाया गया। गुड्डे – गुड़ियों की बारात ढोल, धमाकों से निकाली गयी।

बरगद के पेड़ को साक्षी मानकर शुभ विवाह कराया गया। मोहल्ले की महिलाओं ने शादी के गीत भी गाये। बच्चों ने वट वृक्ष के नीचे नाश्ता किया। बच्चों में मीठी जैन, शैफाली चौरसिया, तनु, साध्या, गुनगुन, परी, कृति, पलक, आर्या, तनु ने बताया कि उन्होंने गुड्डे – गुड़ियों का उत्साह के साथ विवाह रचाया।

बाल-विवाह एक सामाजिक बुराई : वहीं इस आयोजन में मौजूद महिलाओं में शामिल अनिता जैन, पूनम जैन, संगीता जैन, सोनम जैन, नेहा आदि ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इस कुप्रथा को रोकने के लिये शासन दृढ़ प्रतिज्ञ है। कानूनी दृष्टि से भी बाल विवाह को दण्डनीय अपराध माना गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय तृतीया पर ऐसी प्रथा लंबे समय से निभायी जाती रही है। बाल विवाह से संबंधित किसी गतिविधि की जानकारी मिलने पर उसकी सूचना थाना, प्रशासनिक अधिकारी या जिला प्रशासन को दिये जाने की बात की गयी। महिलाओं ने बताया कि लड़की के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं लड़के की आयु 21 वर्ष निर्धारित