मुख्यमंत्री के निर्देश भी उड़ते दिख रहे हवा में!

 

 

प्रसूति प्रभाग में चौबीसों घण्टे नहीं रहतीं महिला चिकित्सक!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। भले ही जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा मुख्यमंत्री कमल नाथ की मंशाओं को भाँपकर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को पटरी पर लाने के लिये हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हों पर जिला अस्पताल में ही मुख्यमंत्री के निर्देश हवा में उड़ते नज़र आ रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री कमल नाथ के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चिकित्सालयों में चिकित्सकों के काम करने के लिये नई व्यवस्था लागू की गयी है। इस व्यवस्था के तहत सिवनी के जिला अस्पताल में हर पाली (शिफ्ट) में दो दो महिला चिकित्सकों की ड्यूटी लगायी जाना चाहिये थी।

यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि जिला अस्पताल में डॉ.राजेश्वरी कुसराम विशेषज्ञ चिकित्सक, डॉ.चेतना बांद्रे प्रभारी विशेषज्ञ चिकित्सक एवं द्वितीय श्रेणी चिकित्सकों में डॉ.विवेक पगारे, डॉ.मनीषा सिरसाम एवं डॉ.ज्योति झारिया पदस्थ हैं। इनमें से डॉ.कुसराम एवं डॉ.बांद्रे की ड्यूटी काल पर लगायी जा सकती है। वहीं डॉ.पगारे, डॉ.सिरसाम एवं डॉ.झारिया की ड्यूटी एक एक शिफ्ट में प्रतिदिन लगायी जाना चाहिये।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सीएमएचओ डॉ.के.सी. मेश्राम के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में चौबीसों घण्टे महिला चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहतीं हैं। इस बात से सीएमएचओ डॉ.मेश्राम भी जिला अस्पताल प्रबंधन से नाराज़ चल रहे हैं।

सूत्रों ने आगे कहा कि सिवनी जिला मुख्यमंत्री कमल नाथ की कर्मभूमि से लगा हुआ है और कमल नाथ के अनेक समर्थक सिवनी में हैं जो उनके सीधे संपर्क में भी हैं। अगर किसी के द्वारा मुख्यमंत्री को जिला अस्पताल के हालातों से अवगत करा दिया गया तो अंत में सारी की सारी गाज सीएमएचओ पर ही गिरेगी, इस चिंता में सीएमएचओ भी जिला अस्पताल प्रबंधन से नाराज़ चल रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल प्रबंधन या सीएमएचओ के द्वारा जिलाधिकारी को अस्पताल की वास्तविक स्थिति से आवगत नहीं कराया जा रहा है। वर्तमान में अस्पताल में नये निर्माण, रंग रोगन की बजाय वार्ड ब्वाय और सफाई कर्मियों की ज्यादा जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अगर जिलाधिकारी को यह सुझाव देते कि रेडक्रॉस और रोगी कल्याण समिति की संचित निधि से मिलने वाले ब्याज से ही वार्ड ब्वाय और सफाई कर्मियों की नियुक्ति कर दी जाती है तो अस्पताल की व्यवस्थाएं काफी हद तक पटरी पर आ सकती हैं।

सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल में 15 वार्ड में काम करने के लिये महज़ दस वार्ड ब्वाय हैं जबकि एक दिन में तीन वार्ड ब्वाय एवं अवकाश, हारी बीमारी के मान से कम से 60 वार्ड ब्वाय होना चाहिये। यही आलम सफाई कर्मियों का है। शव परीक्षण के लिये भी कई बार सफाई कर्मी नहीं मिल पाते हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि वास्तविकता से जिलाधिकारी को रूबरू कराने की बजाय अधिकारी ..यस सर यस सर.. कहते हुए अपनी जवाबदेही पूरी करते नज़र आते हैं।