कोयले से हो सकता है फसलों को नुकसान!

 

 

जबलपुर में कृषि वैज्ञानिक कर रहे सर्वे तो घंसौर में क्यों नहीं!

(सादिक खान)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा बरेला में संस्थापित कोल आधारित पावर प्लांट में कोयले की डंपिग, परिवहन से आसपास के क्षेत्रों फसलों के नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता है।

उल्लेखनीय होगा कि नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) की पहल पर कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जबलपुर के आसपास कोयले की डंपिंग और परिवहन से फसलों को होने वाले नुकसान का जायजा लेने का काम कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा आरंभ किया गया है।

इस काम में कोयले की जहां जहां डंपिंग हो रही है, जहां जहां से परिवहन किया जा रहा है अथवा किया गया है, उन मार्गों पर किसानों से फसलों की वर्ष वार स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी। इसके आधार पर यह अनुमान लगाया जाएगा कि इससे फसलों को कितना नुकसान हुआ है।

बताया जाता है कि कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जानकारी संग्रहित की जाकर उसे सरकार को भेजा जाएगा। इसमें धान, गेहूॅ, दलहन, तिलहन आदि फसलों पर कोयले से उड़ने वाली डस्ट आदि से क्या प्रभाव पड़े इस पर सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही साथ अगर फसलें प्रभावित हुई हैं तो उसके लिए संबंधितों से मुआवजा दिलाए जाने की कवायद भी की जा सकती है।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में कोल आधारित 1260 मेगावाट का संयंत्र स्थापित किया गया है। इस संयंत्र में पहले कोल आपूर्ति सड़क मार्ग से की जाती थी। जिन डंपर्स में कोयला लाया जाता था वे डंपर्स असुरक्षित तरीके से बिना तिरपाल डाले ही कोयले का परिवहन करते थे।

जबलपुर से बिनैकी तक अमान परिवर्तन के उपरांत कोयले की आपूर्ति काफी हद तक रेल मार्ग से होने लगी। किन्तु बिनैकी में कोयला डंप किया जाकर फिर सड़क मार्ग से उसे असुरक्षित तरीके से ही बरेला तक ले जाया जाता रहा है। यह क्रम अभी भी बदस्तूर जारी है।

अगर जबलपुर में इस तरह फसल पर कोयले के प्रभाव का आंकलन किया जा रहा है तो सिवनी में भी जिन मार्गों से अब तक झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए कोयले का परिवहन किया जाता रहा है उन मार्गों के साथ ही साथ बरेला, बिनैकी सहित आसपास के ग्रामों में भी यह सर्वेक्षण कराया जाकर अगर फसलों को नुकसान हुआ है तो झाबुआ पावर लिमिटेड से इसका मुआवजा किसानों को दिलाने की कार्यवाही की जाना न्यायोचित होगी।

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