काँग्रेसी लालायित दिख रहे योजना समिति के सदस्य बनने!

 

मंत्री विहीन सिवनी में काँग्रेस के चंद नेताओं के आसपास ही घूम रही सत्ता की धुरी!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के पहले जिला योजना समिति के सदस्यों के मनोनयन के साथ ही जिले में काँग्रेस की सियासत में उबाल आता दिख रहा है। सत्ता भले ही काँग्रेस की हो पर सत्ता की धुरी उंगलियों पर गिने जाने वाले काँग्रेसियों के हाथों में होने के कारण काँग्रेसी अब इस पद को पाने लालायित दिख रहे हैं।

इधर योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य सरकार के द्वारा मुख्य मंत्री कमल नाथ के निर्देशों के अनुरूप जिला योजना समितियों में नेताओं की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ कर दी गयी है। इसके लिये जिला योजना समिति अधिनियम में संशोधन भी किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि इस कवायद के पहले चरण में डेढ़ दर्जन जिलों में योजना समिति में पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों के साथ ही काँग्रेस के नेताओं को जिला योजना समिति में स्थान देकर उपकृत करना आरंभ कर दिया गया है। शीघ्र ही प्रदेश के अन्य जिलों में जिला योजना समिति के सदस्यों की नियुक्ति किये जाने की संभावना है।

सूत्रों ने आगे बताया कि हाल ही में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक के उपरांत मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अनेक मंत्रियों के साथ अनौपचारिक चर्चा के दौरान निर्देश दिये थे कि विभिन्न समितियों में अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति की जाये। जिला योजना समिति के उपरांत कृषि विभाग में कृषक सदस्यों की व पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में युवा शक्ति संगठन में भी नियुक्तियां की जानी हैं।

जिला काँग्रेस के अंदरखाने से छन-छन कर बाहर आ रहीं खबरों पर अगर यकीन किया जाये तो प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भी कार्यकर्त्ताओं की पूछ परख अब तक नहीं बढ़ पायी है। आज भी जिले में गिनती के काँग्रेसी नेताओं के इर्द गिर्द ही सत्ता की धुरी घूमती दिख रही है।

चर्चाओं के अनुसार काँग्रेस की प्रथम पंक्ति के नेता अब पुर्नवास के मार्ग तलाशते नज़र आ रहे हैं। कोई रेडक्रॉस समिति में प्रदेश प्रतिनिधि बनना चाह रहा है तो कोई योजना समिति का सदस्य बनने की अभिलाषा दिल में पाले हुए है। इस पूरे मामले में संगठन की राय को सरकार के द्वारा महत्व दिया जायेगा, इसलिये एक खेमे के कार्यकर्त्ता उत्साहित दिख रहे हैं पर अनेक गुटों के नेताओं के समर्थकों में निराशा ही पसरी दिख रही है।

काँग्रेस के एक नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि प्रभारी मंत्री सुखदेव पांसे को भी काँग्रेस के एक गुट विशेष ने अपने काकस में जकड़ रखा है। प्रभारी मंत्री भी इस गुट से बाहर निकलकर आम कार्यकर्त्ताओं से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं।

उक्त नेता की मानें तो जिला स्तरीय काँग्रेस संगठन के द्वारा अब तक काँग्रेस समर्थित अधिवक्ताओं को सरकारी वकील अथवा नोटरी बनवाने में भी सफलता हासिल नहीं की गयी है। और तो और शिक्षकों के हुए तबादले उसके बाद संशोधन और निरस्ती करण में भी काँग्रेस के कार्यकर्त्ताओं की अनुशंसाओं की उपेक्षा साफ दिखायी दे रही है।