वन विभाग की आपत्ति को किसने और क्यों कर दिया दरकिनार!
(ब्यूरो कार्यालय)
धूमा (साई)। ग्राम पंचायत धूमा के अंतर्गत वन विभाग की जमीन से सटकर छः लाख रूपये की लागत से बनने वाले सुलभ कॉम्प्लेक्स की गुत्थी उलझती दिख रही है। इसका निर्माण किसकी जमीन पर किया जा रहा है यह बात भी चर्चाओं में है। इसके अलावा वन विभाग के द्वारा सुलभ कॉम्प्लेक्स के निर्माण पर आपत्ति जताये जाने के बाद भी इस आपत्ति को दरकिनार किया जाना भी संदिग्ध ही माना जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार धूमा में वन विभाग के उत्पादन प्रभाग के वन क्षेत्रपाल के पुराने एवं वर्तमान कार्यालय की जमीन से सटी जमीन पर एक सुलभ कॉम्प्लेक्स का निर्माण छः लाख रूपये की लागत से किया जा रहा है।
वन विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लगभग एक माह पूर्व धूमा में पदस्थ वन क्षेत्रपाल सुभाष चंद्र तिवारी के द्वारा इस सुलभ कॉम्प्लेक्स के निर्माण के संबंध में यह आपत्ति लगायी गयी थी कि इस जमीन के पास ही 15 लाख रूपये की लागत से शो रूम एवं प्लांट का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। इस कॉम्प्लेक्स के बनने से यहाँ से उठने वाली दुर्गंध आदि का यहाँ काम करने वाले मजदूरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस आपत्ति के बाद सुलभ कॉम्प्लेक्स के निर्माण को रोक दिया गया था।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद हाल ही में इस कॉम्प्लेक्स का निर्माण एक बार फिर आरंभ हो गया है। सूत्रों की मानें तो इस मामले को वन मण्डल अधिकारी के संज्ञान में लाने के बाद उनके द्वारा यह प्रतिक्रिया दी गयी थी कि रेंज कार्यालय के सामने इस तरह का सुलभ कॉम्प्लेक्स बनना उचित नहीं है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि ग्राम पंचायत के द्वारा इसके निर्माण के लिये खुदवाये गये गड्ढों के बाद वन विभाग की अनुमति के बिना ही रेंज कार्यालय की फेंसिंग को क्षतिग्रस्त करने हुए ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद उच्चाधिकारियों के द्वारा इस संबंध में ग्राम पंचायत पर कार्यवाही के निर्देश दिये जाने के बाद भी रेंज कार्यालय के द्वारा किसी तरह की कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि राजस्व अधिकारियों के संज्ञान में यह बात होने के बाद भी उनकी चुप्पी अनेक संदेहों को जन्म दे रही है। इसके आलवा लोक निर्माण विभाग के द्वारा भी उक्त जमीन पर बनने वाले सुलभ कॉम्प्लेक्स की जानकारी होने से इंकार करते हुए यह भी कहा गया था कि विभाग के द्वारा इसके लिये किसी तरह का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी ग्राम पंचायत को जारी नहीं किया गया है।
एनएचएआई भी बेखबर! : सूत्रों ने आगे बताया कि इस संबध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को भी किसी तरह की जानकारी नहीं है। सूत्रों ने बताया कि एनएचएआई की सड़कों से निश्चित दायरे के अंदर होने वाले निर्माणों के संबंध में निर्माण कर्त्ता एजेंसी को एनएचएआई से विधिवत अनुमति की दरकार भी होती है।

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