पंच सरपंच की अंर्तकलह में उलझा विकास!

 

 

(फैयाज खान)

छपारा (साई)। ग्राम पंचायत में सरपंच और पंचों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का अंत नहीं दिखायी दे रहा है। लंबे समय से इस विवाद की भेंट छपारा का विकास भी चढ़ रहा है। छपारा के ग्रामीण समस्याओं से आज़िज आ चुके हैं पर चुने हुए प्रतिनिधियों को इससे ज्यादा सरोकार नहीं दिख रहा है।

ग्राम पंचायत के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ग्राम पंचायत के डेढ़ दर्जन पंचों के द्वारा सरपंच के खिलाफ मोर्चा खोलकर रखा गया है। पंचों के द्वारा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया हुआ है। पंचों की शिकायत के उपरांत सरपंच के वित्तीय अधिकार छीन लिये गये थे, पर बाद में सरपंच को वित्तीय अधिकार दिये जाने से पंच अब आरपार की लड़ाई के मूड में दिख रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि सरपंच की कार्यप्रणाली से आज़िज आ चुके पंचों के द्वारा जिला पंचायत जाकर सरपंच को पुनः वित्तीय अधिकार दिये जाने पर अपना विरोध जताया गया है। डेढ़ दर्जन पंचों का कहना है कि सरपंच के वित्तीय अधिकार किसी भी कीमत पर बहाल नहीं किये जाने चाहिये।

इस तरह के गतिरोध के चलते इसका असर छपारा के नागरिकों पर पड़ता दिख रहा है। छपारा शहर की साफ सफाई व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। इतना ही नहीं जगह – जगह गंदगी और कचरे के ढेर लगे हुए हैं, तो दूसरी ओर नालियों की सफाई भी बारिश भर नहीं हो पायी है।

पुण्य सलिला बैनगंगा के किनारे बसे छपारा शहर में लगभग एक माह से भी ज्यादा समय से पेयजल की समस्या मुँह बाए खड़ी हुई है। इधर बैनगंगा नदी पानी से लवरेज है तो दूसरी ओर इसके किनारे बसे छपारा के वाशिंदों को बूंद-बूंद पानी के लिये तरसने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

शहर के संजय कॉलोनी, डुंगरिया, शीश नगर वार्ड, लोधी वार्ड सहित अनेक वार्ड में पेयजल की समस्या बनी ही है। सरपंच और पंचों के बीच चल रहे विवाद में पंचों और सरपंच के द्वारा जनता को मिलने वाली बुनियादी सुविधा को बिसार ही दिया गया है। ग्राम पंचायत सचिव बालकराम उईके ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जून माह में इंटकवेल की मोटर खराब होने के बाद सुधरने गयी है वह जल्द ही सुधरकर आयेगी उसके बाद पेयजल आपूर्ति सुचारू हो सकेगी।

इधर, सूत्रों का कहना है कि इंटकवेल से पेयजल प्रदाय ठप्प होने के चलते कर्बला घाट पर लगी मोटर से पानी का प्रदाय जारी था, किनतु यहाँ की मोटर खराब होने पर इसे भी सुधरने भेज दिया गया है। ग्राम पंचायत के पास दो दर्जन से ज्यादा मोटर होने के बाद भी लाखों रूपये मोटर सुधार कार्य में खर्च किया जाना आश्चर्यों को जन्म दे रहा है।