मक्के पर इल्ली ने बोला हमला, धान है खैरा की चपेट में
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। बेहतर बारिश के कारण किसानों के चेहरे की लाली बता रही है कि इस बार उनको उम्दा फसल होने की उम्मीद है। वहीं जिले के कुछ स्थानों पर फसलों पर रोगों का हमला भी हुआ है। इल्ली ने मक्के पर हमला बोला है तो धान आ रही है खैरा रोग की चपेट में।
किसानों ने बताया कि मक्का फसल में फाल आर्मीवर्म का प्रकोप देखा गया। कीट के नियंत्रण के लिए सिंथेटिक कीटनाशकों का प्रयोग करने की सलाह किसानों को दी गई। ग्रामवासियों गिरीश मिश्रा, रवि डेहरिया, बलराम उईके, सुनील सनोडिया, बलराम उईके, शेरसिंह अरेवा, मुकेश डेहरिया, अरविंद सल्लाम, सियाराम सनोडिया आदि ने बताया कि ग्राम हथनापुर, जाम, कमकासुर, पिपरिया, मड़वा, ढाना आदि गांवों में इस इल्ली का काफी प्रकोप देखने में मिल रहा है। जिसके चलते खेतों में लगी मक्का की फसल को काफी नुकसान हो रहा है।
इधर, कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि फाल आर्मी वर्म एक बहुभक्षी कीट है जो कि 880 से अधिक प्रकार की फसलों पर क्षति करता है। लेकिन मक्का संदीदा फसल है। अंडों से निकली छोटी-छोटी इल्लियां पत्तियों के हरे भाग को खुरच-खुरच कर खाती हैं। फलस्वरूप पत्तियों में सफेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इल्लियां पौधों की पोगली के अंदर छुपी रहती हैं। बड़ी इल्लियां पत्तियों को खाकर उसमें छोटे से लेकर बड़े-बड़े गोद छेद कर नुकसान पहुंचाती हैं। बड़ी अवस्था की इल्लियां भुट्टों व मंजरियों को भी खाकर नुकसान पहुंचाती हैं। उन्होंने बताया कि इस कीट के पतंगे हवा के बहाव के साथ एक रात में करीब 100 किलो मीटर तक का सफर तय कर सकती हैं।
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इनकी प्रजनन क्षमता भी बहुत अधिक है। माता अपने जीवनकाल में करीब एक से दो हजार अंडे दे सकती है। यह कीट झुंड में आक्रमण कर पूरी फसल को कुछ ही समय में नष्ट करने की क्षमता रखता है।
धान की फसल भी रोग की चपेट में : कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी द्वारा किसानों को मक्का और धान की फसल में हो रही बीमारी के विषय में बताया जा रहा है। किसानों के मोबाइल फोन में इस प्रकार की एडवाइजरी जारी की जा रही है। इन दिनों धान की फसल में खैरा नामक बीमारी के लक्ष्ण दिख रहे है। इसके बचाव के लिए 100 ग्राम जिंक, इडीटीए को 100 लीटर पानी के घोल तैयार कर फसल में छिड़काव करें।
खेतों में लगी मक्का, धान की फसल में बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर कीटनाशक दवाओं का समय समय पर छिड़काव करें। अधिक जानकारी के लिए विभाग के अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिक से भी उचित सलाह ले।
डॉ. एनके सिंह,
कृषि वैज्ञानिक.

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