आसपास के छोटे गाँवों से चलायी जायें शेयरिंग टैक्सियां अथवा छोटी बस!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिला प्रशासन के द्वारा चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान को जनता का पूरा – पूरा समर्थन मिल रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि आठवें दिन भी बिना किसी विरोध के प्रशासन के द्वारा इस अतिक्रमण अभियान को सफलता पूर्वक संपन्न कराया जा सका है।
सिवनी में इस अभियान के बाद सड़कें चौड़ी – चौड़ी नज़र आने लगी हैं। वर्षों से सरकारी जमीन पर काबिज़ लोगों के निवास या प्रतिष्ठानों के उन हिस्सों जो इसकी जद में आ रहे थे को नेस्तनाबूत कर दिया गया है। सड़कों पर अभी भी मलबा पसरा हुआ है, जिसे हटाने में हो रहा विलंब यातायात को बाधित करता दिख रहा है।
इस अभियान को देखने पहले ही दिन से बड़ी तादाद में लोगों की भीड़ उमड़ती देखी गयी है। अभियान के चलते प्रशासन की निष्पक्ष कार्यवाही की लोग मुक्त कण्ठ से प्रशंसा भी करते दिख रहे हैं। इसके अलावा अब लोगों का यह मन भी बनता जा रहा है कि शहर की सड़कों पर यातायात के दबाव को कम करने के लिये प्रशासन को कार्य योजना बनाना चाहिये।
इस अभियान के दौरान अनेक लोगों के द्वारा समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा गया कि शहर में उत्तर (लूघरवाड़ा, नगझर, सिमरिया) से दक्षिण (खैरी टेक, बाम्हनदेही, लखनवाड़ा आदि) तक के हिस्से में आने जाने लिये मॉडल रोड एवं गांधी भवन से शुक्रवारी, दीवान महल होकर जाने वाला मार्ग ही है।
लोगों का कहना है कि इसके अलावा शहर में दो मेजर रोड भी प्रस्तावित होने की बात कुछ वर्ष पहले कही गयी थी। अब समय आ चुका है कि इन एमआर वन और टू को आकार देने की कवायद आरंभ कर दी जाये।
लोगों का कहना है कि इसके अलावा चूना भट्टी से डूण्डा सिवनी, छिंदवाड़ा नाका होकर लखनवाड़ा, खैरी टेक से छिंदवाड़ा चौराहा, बस स्टैण्ड, गांधी भवन, लूघरवाड़ा होकर सिमरिया एवं नगझर, जिला पंचायत कार्यालय से बाम्हनदेही, सहित ढेंकी, पुसेरा आदि स्थानों के लिये स्थानीय परिवहन के लिये परमिट जारी करने की कवायद की जाना चाहिये।
लोगों की मानें तो सिवनी शहर के अंदर से होकर गुज़रने वाले मार्गों से होकर आसपास के गाँवों को जोड़ने के लिये परिवहन विभाग, यातायात पुलिस सहित सड़क सुरक्षा समिति को मार्ग चिन्हित कर उनके नंबर एलॉट कर दिये जाने चाहिये। इसके बाद परिवहन विभाग के द्वारा इन मार्गों पर छोटा हाथी या मिनी बस को चलाये जाने के लिये परमिट जारी करना चाहिये, ताकि शेयरिंग बेसिस पर लोग आवागमन कर सकें।
लोगों का कहना है कि वर्तमान में अगर किसी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना होता है तो अपने निज़ि साधन के अलावा उनके सामने ऑटो ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। ये दोनों ही व्यवस्थाएं बहुत ही ज्यादा महंगी होती हैं। अगर सिटी बस के रूप में छोटे वाहन चलाये जाते हैं तो सड़कों पर यातायात के दबाव को कम करने में भी कामयाबी मिल सकती है। लोगों की मानें तो शुरूआती दौर में एक दो मार्ग पर परीक्षण या प्रयोग के लिये इस व्यवस्था को लागू करके प्रशासन को प्रयोग करना चाहिये।

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