गन्ने के खेतों के कारण वापस लौटे हाथी!

 

गणेशगंज के जंगलों में हाथियों की सुनायी दी पदचाप

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। छत्तीसगढ़ के रास्ते मध्य प्रदेश में घुसे जंगली हाथियों में दो हाथी अपने झुण्ड से बिछुड़ गये हैं। ये हाथी सिवनी से नरसिंहपुर होते हुए छिंदवाड़ा जिले की सीमा के बाद अब उसी रास्ते से वापस होते दिख रहे हैं, जिस रास्ते ये आये थे। शुक्रवार को ये हाथी गणेशगंज के आसपास के जंगलों में दिखायी दिये।

पेंच नेशनल पार्क के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस बात की संभावना बलवती है कि नरसिंहपुर के गन्ने के खेतों से गुज़रते समय गन्ने इन्हें बुरी तरह चुभ रहे होंगे, जिसके चलते इन्होंने अपना रास्ता बदला और छिंदवाड़ा जिले की सीमा की ओर रूख किया।

सूत्रों ने बताया कि छिंदवाड़ा में भी गन्ने की खेती बहुतायत में होने के कारण इनका आगे बढ़ना मुश्किल हुआ होगा और इन्होंने वापस रूख कर लिया होगा। हाथियों के झुण्ड के लगभग चालीस हाथियों का झुण्ड पन्ना जिले के आसपास घूम रहा है। माना जा रहा है कि ये दो हाथी अपने झुण्ड से बिछुड़ गये हैं।

सूत्रों का कहना था कि ये हाथी मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के जिलों की ओर रूख कर रहे थे, इसलिये वन विभाग के अधिकारियों हाथ पैर फूलते दिखे। आला अधिकारियों के द्वारा इन हाथियों को पकड़ने का फैसला करने के लिये एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी की बैठक 19 फरवरी को सिवनी मंे होगी।

सूत्रों ने आगे बताया कि कुछ वन्य जीवों जिनमें हाथी भी शामिल हैं, में यह विशेष क्षमता पायी जाती है कि जिस रास्ते से जाते हैं उसी रास्ते से वापस भी लौट जाते हैं। हाथियों को नरसिंहपुर और छिंदवाड़ा के गन्ने के खेतों से गुज़रना बहुत कष्टदायी साबित हो रहा होगा, इसी के चलते उन्होंने वापिसी की राह पकड़ ली है।

सूत्रों ने बताया कि वन विभाग का अमला इन हाथियों की प्रत्येक हरकत पर दूर से नज़र बनाये हुए है। जहाँ से भी इनके गुज़रने की संभावना होती है वन महकमे के द्वारा वहाँ के नागरिकों को इस बात के लिये सचेत कर दिया जाता है, ताकि ग्रामीण एहतियात बरत सकें।

हाथियों के द्वारा अब तक किसी भी नागरिक या फसल को नुकसान नहीं पहुँचाया जाना राहत की बात मानी जा सकती है। हाथी अगर अपने घर की ओर वापस जा रहे हैं तो निश्चित तौर पर वन विभाग भी उसे शायद ही छेड़े। सूत्रों ने उम्मीद जतायी है कि जिस गति से ये हाथी वापस जा रहे हैं, उसके हिसाब से सोमवार तक ये हाथी मण्डला जिले की सीमा में प्रवेश कर सकते हैं।

सूत्रों ने यह भी बताया कि वन विभाग के द्वारा मुख्यालय से इन हाथियों को पकड़ने की अनुमति चाही गयी थी। यह अनुमति प्रधान मुख्य वन संरक्षक के द्वारा प्रदाय कर दिये जाने के बाद इन हाथियों को निश्चेत कर पकड़ने के मार्ग प्रशस्त हो गये हैं, किन्तु 19 फरवरी को होने वाली बैठक के उपरांत ही यह तय किया जायेगा कि इन्हें पकड़ना है अथवा नहीं, क्योंकि तब तक ये हाथी मण्डला या बालाघाट के रास्ते अगर छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर गये तो इन्हें पकड़ने का फैसला वहाँ की सरकार को करना होगा।