बार-बार गीदड़ भभकी देती है नगर पालिका!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिवनी शहर में अतिक्रमण के चलते सड़कों की चौड़ाई बहुत ही कम रह गयी है। रात को पर्याप्त चौड़ी नज़र आने वाली सड़कें दिन में तंग गली में तब्दील हो जाती हैं। नगर पालिका के द्वारा सालों से बार – बार अतिक्रमण हटाने के लिये गीदड़ भभकी ही दी जाती रही है।
शहर की शायद ही कोई रोड इस तरह की बची हो जहाँ अतिक्रमण न पसरा हो। शहर के मुख्य बाज़ार को जोड़ने वाली नेहरू रोड के हाल तो बुरी तरह बेहाल हैं। नगर पालिका परिषद के द्वारा समय – समय पर सड़कों की नपाई की जाकर निशान लगाये जाते हैं इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही ठण्डे बस्ते के ही हवाले कर दी जाती है।
शहर में जब-जब अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही आरंभ हुई है, इस कार्यवाही को महज एक या दो दिन बाद ही रोक दिया जाता है। पता नहीं नगर पालिका परिषद को शहर की सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कराने में पसीना क्यों आता है। मामला चाहे मॉडल रोड का हो या अंदरूनी सड़कों का, हर बार कार्यवाही आरंभ होने के पहले ही समाप्त कर दी जाती है।
मॉडल रोड, नेहरू रोड, बुधवारी पहुँचने के सारे मार्ग, शुक्रवारी से दीवान महल होकर घसियारी मोहल्ला मार्ग, गांधी चौक से गणेश चौक होकर मिशन स्कूल मार्ग, गणेश चौक से बरघाट नाका मार्ग, गांधी भवन से सिंधिया तिराहा होकर बाहुबली चौराहा मार्ग सहित अनेक मार्गों में सड़क के मध्य से दोनों ओर की चौड़ाई ही अगर माप ली जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है।
बुधवारी बाज़ार में साल भर व्यापारियों के द्वारा अपने – अपने प्रतिष्ठान के सामने सामान इस तरह फैला कर रखा जाता है कि यहाँ से दो पहिया वाहन चालक भी (चित्र देखें) सर्कस के बाजीगर के मानिंद ही अपने वाहन निकाल पाते हैं। ऐसा नहीं कि नगर पालिका परिषद को इस बात की जानकारी नहीं है, इसके बाद भी पालिका का मौन आश्चर्य जनक ही माना जायेगा।
नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कम से कम आने वाले छः सात महीने तो अब अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। इसका कारण यह है कि आने वाले समय में नगर पालिका चुनाव हैं और अगर इस कार्यवाही को किया जाता है तो पालिका पर भाजपा के सत्तारूढ़ होने से यह कार्यवाही मतदाताओं को भाजपा से विमुख कर देगी और वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में काँग्रेस सत्ता में है इस लिहाज़ से मतदाता काँग्रेस से भी खफा हो सकते है।
सूत्रों का कहना है कि नगर पालिका में एक कुशल प्रशासक की दरकार है। शहर में अगर अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही सख्ती से की जाती है, तो मुट्ठी भर लोग ही इससे नाराज़ होंगे पर आम जनता को मिलने वाली राहत के चलते सियासी दलों का जनाधार बढ़ने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

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