ईएनटी, आँख के रोगी तरस रहे दवाओं को!

 

 

बारिश के मौसम में बढ़ रहे मरीज, ओपीडी में नहीं मिल रहा उपचार

(सादिक खान)

सिवनी (साई)। हल्की बारिश के बाद अब अनेक बीमारियों ने लोगों को अपनी जद में लेना आरंभ कर दिया है। इन दिनों आँख, नाक, कान और गला से संबंधित संक्रामक बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। मॉडल रोड सहित अन्य सड़कों पर वाहनों के चलने के दौरान उड़ने वाली धूल, गिट्टी के कणों से लोगों को असुविधा हो रही है।

जिला चिकित्सालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला चिकित्सालय में एसेंसियल ड्रग्स की लिस्ट (ईडीएल) में भी अनेक दवाएं गायब हैं। जिला चिकित्सालय के अधिकारी बजट आवंटन का रोना रोकर मरीजों को बरगला रहे हैं।

उक्त संबंध में सूत्रों ने आगे बताया कि जिला चिकित्सालय में वर्तमान में नाक कान गला रोग का एक भी विशेषज्ञ नहीं है। यही आलम आँखों के मामले में है। नेत्र रोगों के मामले में तो निजि तौर पर चिकित्सक मौजूद हैं पर ईएनटी के लिये एक भी चिकित्सक जिला मुख्यालय में न होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

सूत्रों ने आगे बताया कि जिला चिकित्सालय सहित जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में नेत्र रोग एवं ईएनटी से संबंधित दवाओं का अभाव है। इनके रोगियों को ड्रॉप्स भी नहीं मिल पा रहे हैं। इसके अलावा विशेषज्ञ चिकित्सक न होने के कारण मरीज अपना दुखड़ा किसके सामने रोयें यह बात भी विचारणीय ही मानी जा रही है।

इसके साथ ही सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल में मामूली दवा नहीं होने से मरीजों को बाजार से अस्पताल तक चक्कर लगाना पड़ रहा है। अस्पताल में आँख, नाक, कान और गला के मरीजों के लिये सामान्य ड्रॉप भी उपलब्ध नहीं हैं। महज 34 से 60 रुपये कीमत वाली इन दवाईयों का स्टॉक खत्म होने से गरीब मरीजों को भटकना पड़ रहा है।

सूत्रों ने बताया कि अस्पताल के दवा काउंटर में आँख और इएनटी से संबंधित मर्ज के इलाज में इस्तेमाल होने वाले ड्रॉप्स नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार अस्पताल में इन मर्ज से संबंधित केवल सैफ्रोफ्लाक्सासीन नामक दवा है। जानकारों के अनुसार आँख और कान के मर्ज से पीड़ित लगभग हर मरीज को कुछ दवाओं की आवश्यकता होती है। दवाईयां नहीं मिलने से जाँच और ईलाज की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।

उक्त संबंध में सूत्रों ने आगे बताया कि अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर तो मानो रात के समय खुलता ही नहीं है। निश्चेतना के लिये अगर चिकित्सक से सौदा तय हो गया तो ठीक वरना मरीज को रेफर करने में एक मिनिट का समय भी नहीं लगाते हैं चिकित्सक। इस तरह के अनेक प्रकरण पूर्व में प्रकाश में आ चुके हैं।

सूत्रों ने कहा कि अब जबकि निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ.आर.के. सोनी सेवा निवृत्त हो चुके हैं तब अस्पताल में होने वाली शल्य क्रियाओं में निश्चेतना देने की जवाबदेही डॉ.पुष्पा तेकाम पर आहूत होती है, पर उनके द्वारा भी अनेक मामलों में निश्चेतना दिए जाने से इंकार ही कर दिया जाता है।