स्वास्थ्य विभाग संभल नहीं पा रहा प्रभारी सीएमएचओ से . . . 02
प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश श्रीवास्तव की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट नजर आ रहे मातहत कर्मचारी!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिले में स्वास्थ्य विभाग के मुखिया से स्वास्थ्य विभाग शायद संभल नहीं पा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के अनेक कर्मचारी प्रभारी सीएमएचओ की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट ही नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा प्रभारी सीएमएचओ को वीआरएस लेने की सलाह भी दे दी है।
सीएमएचओ कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सीएम हेल्प लाईन हो या समय सीमा की बैठक, हर मामले में प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश श्रीवास्तव अपने नवरत्न कर्मचारियों के भरोसे ही दिखते हैं। जैसा कर्मचारी कहते हैं वैसा ही उनके द्वारा किया जाता है।
सूत्रों ने आगे बताया कि सीएम हेल्प लाईन में 19 मार्च 2021 को एक शिकायत कर्ता के द्वारा शिकायत की गई थी कि सिवनी शहर में बाहर से आने वाले चिकित्सकों के द्वारा क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट एक्ट के तहत सीएमएचओ कार्यालय में इत्तेला दिए बिना ही मनमानी फीस ली जाकर छोटे छोटे मेडिकल स्टोर्स में ओपीडी चलाई जा रही है। बार बार शिकायतों के बाद भी सीएमएचओ सिवनी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, जिससे मरीजों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। इसकी जांच की जाए एवं दोषियों के खिलाफ (अगर सीएमएचओ भी दोषी हों तो) कठोर कार्यवाही की जाए। इसके सााि ही यह भी कहा था कि शिकायतकर्ता की सहमति के बिना शिकायत को बंद न किया जाए।
सूत्रों ने बताया कि इस शिकायत को अपूर्ण होने के कारण बंद कर दिया गया था। इसके बाद जब शिकायतकर्ता को इस बात की जानकारी मिली तो शिकायत कर्ता के द्वारा 19 मार्च 2021 को बंद कराई गई शिकायत को एक बार फिर 01 अप्रैल 2021 को यह कहकर री ओपन करवाई कि पूर्व की शिकायत अपने आप में स्पष्ट है।
सूत्रों ने बताया कि इसके उपरांत 28 जनवरी तक सीएमएचओ कार्यालय के द्वारा लगातार एक ही आलाप गाया गया कि अपूर्ण शिकायत है इसे बंद कर दिया जाए, किन्तु शिकायतकर्ता की असंतुष्टि के बाद यह शिकायत लेवल 04 अधिकारी तक पहुंचती रही और 01 अप्रैल 2021 को की गई शिकायत के 300 दिन पूरे होने पर प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश श्रीवास्तव द्वारा बाजीगरी दिखाते हुए 19 मार्च की उस शिकायत जिसे लगातार 300 दिन से सीएमएचओ के द्वारा अपूर्ण बताया जा रहा था पर एक्शन लेते हुए औषधि निरीक्षक से जांच करवाने के आदेश जारी कर दिए गए। इस जवाब को भी लेवल 04 अधिकारी के द्वारा अमान्य कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि औषधि निरीक्षक के द्वारा 01 फरवरी को इस मामले में एक प्रतिवेदन प्रभारी सीएमएचओ को दिया गया, जिसके बाद 01 फरवरी को प्रभारी सीएमएचओ के द्वारा सीएम हेल्प लाईन में इसका निराकरण कुछ इस तरह दर्ज किया गया कि दवा निरीक्षक के द्वारा जांच कराई गई। दवा निरीक्षक के द्वारा संबंधित मेडीकल स्टोर का निरीक्षण किया गया। दवा निरीक्षक के द्वारा अपने प्रतिवेदन में लेख किया है कि संबंधित मेडीकल स्टोर्स का लाईसेंस वैध पाया गया तथा मेडीकल स्टोर्स परिसर में किसी प्रकार की क्लीनिक का संचालन व चिकित्सकों के द्वारा मरीजों का उपचार किया जाना नहीं पाया गया है। अतः शिकायत निराधार हैा शिकायत को आपके स्तर से स्पेशल क्लोज कर बंद करने का कष्ट करें।
सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता के द्वारा किसी विशेष मेडिकल स्टोर का उल्लेख अपनी दोनों शिकायत में नहीं किया गया था, फिर प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश श्रीवास्तव के आदेश पर औषधि निरीक्षक के द्वार किस (अथवा किन किन) मेडिकल स्टोर्स की जांच कर अपना प्रतिवेदन दे दिया गया।
सूत्रों की मानें तो प्रभारी सीएमएचओ के द्वारा इस मामले में गहराई से जांच करने के बजाए 300 दिन पूरे होने पर शिकायत बंद कराने की मंशा से ही यह सब किया गया है। शिकायत कर्ता के द्वारा इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत डे टू डे की प्रगति रिपोर्ट की प्रतिलिपि भी चाही है और शिकायतकर्ता के द्वारा इस तरह फोर्स क्लोजर के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य आयुक्त, आयुक्त जबलपुर संभाग एवं जिला कलेक्टर सिवनी को भी शिकायत प्रेषित की है।
(क्रमशः जारी)

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