करोड़ों फूंकने के बाद भी सुरक्षित नहीं रह गया है जिला चिकित्सालय परिसर
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय परिसर की सुरक्षा के लिए हर साल करोड़ों रूपए व्यय करने के बाद भी नतीजा सिफर ही दिखाई दे रहा है। परिसर में स्थित एक कन्या छात्रावास में लगातार दो रातों को मयजदों के द्वारा जमकर हंगामा किया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय (सीएमएचओ) के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला चिकित्सालय परिसर में ही सीएमएचओ कार्यालय का परिसर भी है। सीएमएचओ के सामने ही जनरल नर्सिंग एण्ड मिडवाईफरी (जीएनएम) प्रशिक्षण केंद्र एवं कन्याओं का छात्रावास भी है।
सूत्रों ने बताया कि 26 एवं 27 मार्च की दर्मयानी रात लगभग बारह बजे से डेढ़ बजे के मध्य दो युवक जो पूरी तरह नशे में धुत्त थे, जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र के कन्या छात्रावास के मुख्य द्वार पर पहुंचे और उनके द्वारा किसी महिला का नाम लेकर उससे अपने बकाया पैसे वापस करने की मांग की जाने लगी।
सूत्रों की मानें तो आवाज सुनकर मौके पर मौजूद महिला सुरक्षा गार्ड के द्वारा इन युवकों को वहां से जाने के लिए कहा गया किन्तु ये लगातार ही वहां खड़े रहकर अपने पैसों की मांग वह भी आधी रात में करते रहे और इनमें से एक युवक जिसने अपना नाम भी चिल्ला चिल्लाकर बताया गया के द्वारा कहा गया कि वह अपने पैसे लेने दूसरे दिन फिर आएगा।
सूत्रों ने आगे बताया कि अगली रात अर्थात शुक्रवार 28 मार्च की रात लगभग नौ बजे एक बार फिर दोनों युवक जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र के कन्या छात्रावास पहुंचे और दूसरी रात में उनके द्वारा किसी अन्य का नाम लिया जाकर अपने बकाया पैसों की मांग की जाने लगी। इसके बाद छात्रावास से किसी के द्वारा डायल 100 को फोन किया गया, जब तक डायल 100 मौके पर पहुंची तब तक ये युवक वहां से फरार हो चुके थे।
इधर, जिला चिकित्सालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला चिकित्सालय परिसर पूरी तरह से नशे का अड्डा बन चुका है। दिन में अस्पताल की ओपीडी के सामने बने बगीचे में आशिक, माशूकाएं प्रेमालाप करते दिख जाते हैं, तो शाम गहराते ही अस्पताल परिसर में जाम छलकते नजर आते हैं। अस्पताल परिसर में खाली पड़े स्थानों पर वाहन खड़ा करके उसमें जाम छलकाने वालों की मानो पौ बारह हो जाती है।
कुल मिलाकर जिला अस्पताल परिसर में सीएमएचओ कार्यालय के ठीक सामने देर रात को कन्या छात्रावास के मुख्य द्वार तक अगर मयजदे बिना किसी डर के पहुंच रहे हैं तो यह समझा जा सकता है कि नशे के आदि युवाओं आदि को पुलिस या कानून का कितना खौफ रह गया है। इस पूरी घटना से बाहर से आकर नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली छात्राएं अगर आपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हों तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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