प्रदेश में एमआरपी पर नहीं लगता है टैक्स
(वाणिज्य ब्यूरो)
सिवनी (साई)। दुकानदार यदि पटाखों पर 20 प्रतिशत डिस्काउंट दे रहा है तो खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आप ठगे गये हैं। यह डिस्काउंट एमआरपी पर 50 से 70 प्रतिशत होता है, क्योंकि पटाखों की पैकिंग पर मूल दाम से कई गुना अधिक एमआरपी प्रिंट रहती है।
पटाखा व्यवसायियों के अनुसार कई ब्रांडेड कंपनियां भी ऐसे ही डिस्काउंट देती हैं। सस्ते पटाखे खरीदने के लिये जरूरत है जमकर मोलभाव करने की।
ऐसे मिलता है डिस्काउंट : जानकारों का कहना है कि इस साल चाइनीज पटाखे तो बाज़ार से गायब हैं और देश में ही बने पटाखे बाज़ारों में आये हैं। इसमें से 90 फीसदी पटाखे तमिलनाडु के शिवकाशी से आते हैं। शिवकाशी से जो भी पटाखे आते हैं, उन पर एमआरपी बढ़ा-चढ़ा कर लिखी होती है। मसलन किसी क्रैकर्स के पैकेट पर 500 रूपये एमआरपी है तो उस पर 70 प्रतिशत डिस्काउंट कर बेचा जाता है। इस प्रकार 500 रूपये के पटाखे की कीमत मात्र 150 रूपये होती है और इस पर भी दुकानदार मुनाफा 40 फीसदी कमाता है।
अलग-अलग रेट पर मिलते हैं पटाखे : पटाखों के कारोबार से जुड़े एक होल सेलर्स से जुड़े सूत्र बताते हैं कि क्रैकर्स के रेट मार्केट के हिसाब से तय होते हैं। इस बात की संभावना है कि अलग – अलग शहरों में पटाखों के रेट में अंतर मिले। वहीं वाणिज्य कर विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश में पटाखों पर वैट एमआरपी पर नहीं, बल्कि बेचे गये दामों पर लगता है।
सूत्रों का कहना है कि इसी कारण पटाखों के दामों पर नियंत्रण नहीं है और इसीलिये एमआरपी ज्यादा रखी जाती है, जिससे दीपावली आते – आते ज्यादा दामों पर पटाखे बेचे जा सकें। वाणिज्य कर विभाग के सूत्रों ने आगे बताया कि पटाखों की इनव्आईस यानि बिक्री किये गये दामों पर ही टैक्स लगता है, एमआरपी पर नहीं। फिलहाल इस पर नियंत्रण की कोई व्यवस्था भी नहीं है।
दीपावली वाले दिन तो पटाखे इसी बढ़े एमआरपी पर ही बिक जाते हैं, यानि डिस्काउंट का लेबल शून्य हो जाता है। दुकानदारों का कहना है कि दीपावली वाले दिन तो दुकान में स्टॉक ही नहीं रहता और पूरा माल ज्यादा दामों में बिकता है। बड़ा प्राइस रेंज इसलिये रखा जाता है कि एक दो दिन की पीक ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा कमाई की जा सके। दीपावली के दिन जब दुकान में स्टॉक नहीं होता, माल एमआरपी पर भी बिक जाता है।

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