मैं गया वक्त नहीं जो वापस न आ सकूं : सुधा

 

बिदाई समारोह के अवसर पर शाला परिवार ने रखे विचार

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। किसी संस्था में लंबे समय तक सेवाएं देने के दौरान निश्चित ही उस संस्था लगाव हो जाता है और उस संस्था के सदस्य परिवार की तरह लगाने लगते हैं। निश्चित ही सेवा निवृत्ति के दौरान वह अवसर होता है जब हमें अपने किये गये कार्यांे का सिहावलोकन करने का समय होता है।

उक्ताशय के उद्गार नेताजी सुभाषचंद्र बोस हायर सेकेण्डरी शाला में श्रीमति सुधा विनय श्रीवास्तव के बिदाई समारोह के अवसर पर प्राचार्य पी.एन. वारेश्वा ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अपने कार्य काल के दौरान श्रीमति सुधा श्रीवास्तव ने दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्म विश्वास एवं अनुशासन में रहते हुए विज्ञान एवं कला के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया। निश्चित ही उनके अंदर एक अलग ही प्रतिभा थी जिसके कारण उनकी अपनी अलग पहचान बनी और आज बिदाई समारोह के अवसर पर उन्हंे बिदा करते हुए शाला परिवार की आँखे नम हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक घनश्याम मिश्रा ने श्रीमति श्रीवास्तव के कई पहलुओं को सामने रखा। इसी तरह विजय शुक्ला ने भी उनकी प्रतिभा को रखा। अंजना भलावी एवं ममता नेमा सरोज श्रीवास्तव ने भी उनके गुणों पर प्रकाश डाला। शफीक खान, शंकर सनोडिया सहित अनेक लोगों ने इस अवसर पर अपने विचार रखे।

शाला परिवार द्वारा शॉल श्रीफल से सम्मान किया गया। साथ ही श्रीमति श्रीवास्तव द्वारा शाला को कूलर प्रदान किया गया। इस अवसर पर सुधा श्रीवास्तव ने कहा कि आज यहाँ से जाते हुए दुःख है, लेकिन फिर भी मैं यही कहूंगी कि मैं वो गया वक्त नहीं जो वापस न आऊं आप जब बुलायेंगे वे चलीं आयेंगी।