इन शालाओं में नवाचार के शिक्षा में आयेगा सुधार!

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। शिक्षा में नवाचार को लेकर अनेक शालाओं में कार्य किया जा रहा है और देखने में आया कि इसके संतोष जनक परिणाम भी हमें देखने को मिल रहे है, शिक्षा के साथ साथ कौशल विकास को लेकर भी शालाये सक्रिय है जिसके लिए मध्य प्रदेश शासन इन शालाआों को हर संभव मदद कर रहा है।

उक्त उद्गार जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने हाल ही में कुछ शालाओं द्वारा किये गये नवाचार के प्रयोग को लेकर व्यक्त किये।

नशा मुक्ति को लेकर किया नवाचार : शिक्षा के क्षेत्र में लोगों में पिछड़ेपन से दूर किया जा सकता है, इसके लिये सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिये, यह सभी का दायित्व भी है कि हर बच्चा स्कूल जाये, सभी यह प्रदेश शिक्षित राज्य बन पायेगा। सरकार ने स्कूल शिक्षा को कौशल विकास जोड़ने और बच्चों को स्कूल आने के लिये प्रेरित करने के लिये कई नवाचार किये हैं।

महात्मा गांधी हाई स्कूल सिवनी की प्राचार्या डेजी जैन ने बताया कि पहले शाला के अनेक विद्यार्थी शाला में नशा करते थे तथा विभिन्न प्रकार की तंबाकू का सेवन करते थे हमने इन बच्चों को नशा छुड़ाने के लिये एक नवाचार के रूप में प्रयोग किया और जिसमें हम सफल रहे, बच्चों को हमने तंबाकू के स्थान पर तंबाकू का विकल्प जो नशा मुक्त था, दिया बच्चों ने उसका सेवन किया और वह नशा मुक्त हो गये। अब वह बच्चे अपने परिवार में नशा करने वाले लोगों के लिये वह वस्तु माँगते है जिसका हमने उन्हें सेवन करने के लिये दिया था अतः इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है।

स्टीम एजुकेशन सिस्टम के लिये प्रयासरत : इसी तरह नेताजी सुभाषचंद्र बोस हायर सेकेण्डरी शाला के प्राचार्य ने बताया कि हम स्टीम एजुकेशन सिस्टम का अध्ययन के उपरांत अपनी शाला में इसे लागू करने के लिये प्रयास कर रहे है, जिसके माध्यम से साइंस टेक्नोलाजी आटर््स आौर मैथ्स बेस्ड शिक्षा र्प्रणाली से है जिसका मूल उद्देश्य किताबी ज्ञान को कौशल विकास के साथ जोड़ने से है। यह प्रयोग कोरिया में बेहद सफल हुआ है। शासन का नवाचार सिंद्धात स्वागत योग्य है। वहीं स्कूली शिक्षा में सुधार के लिये शासन के इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

युवा क्लब पायलट प्रोजेक्ट से आयेगा सुधार : शासकीय मठ कन्या शाला के प्राचार्य एम सैय्याम ने बताया कि शासकीय स्कूल में युवा क्लब बनाये जा रहे है पहले इसे कुछ स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप मे चलाया जाये, इसके बाद इसी सफलता को देखते हुए इसे सभी शासकीय स्कूलों में लागू किया जायेगा, प्रदेश में इस इसकी परीक्षा भी ली गई जब शिक्षक योग्य होगा तो तब बच्चों को योग्य बना पायेगा। इसको लेकर राज्य के शासकीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के स्तर जानने के लिए उनकी परीक्षा ली गई है।

 

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