सिवनी में अवैध कॉलोनियों की है भरमार, नगर पालिका ने किस आधार पर कॉलोनाईजर्स को बख्शते हुए करवा दिए करोड़ों के विकास कार्य!
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अवैध कॉलोनियों के नियमितिकरण को चुनौति देने वाली याचिका में नगरीय प्रशासन विभाग को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के सिवनी शहर में भी अनेक अवैध कॉलोनियों में विकास काम किस आधार पर किसके द्वारा कराए गए हैं, यह शोध का विषय ही माना जा सकता है।
हाईकोर्ट ने अवैध कॉलोनियों के नियमितिकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर नगरीय प्रशासन विभाग को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने एक सप्ताह का समय दिया।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि राज्य सरकार ने 20 जुलाई को अध्यादेश जारी कर प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का निर्णय लिया है। इस अध्यादेश से अवैध कॉलोनी बनाने वालों को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही अवैध कॉलोनी बनाने वाले बच जाएंगे। मंगलवार को सरकार की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई कि इस मामले में नगरीय प्रशासन विभाग को पक्षकार नहीं बनाया गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर नगरीय प्रशासन विभाग को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने पूछा कि केंट बोर्ड की ओर से प्रवेश कर की वसूली कैसे की जा रही है? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने केंट बोर्ड को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा। जबलपुर के सदर निवासी अधिवक्ता साहिल अग्रवाल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि केंट बोर्ड की ओर से सात जगह नाके लगाकर अवैध वसूली की जा रही है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में प्रवेश कर को जीएसटी में मर्ज कर दिया है। इसके बाद भी प्रवेश कर की अवैध तरीके से वसूली की जा रही है। तर्क दिया गया कि केंट बोर्ड की प्रवेश कर वसूली पर रोक लगाई जाए।
यहां उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश के जिला मुख्यालय सिवनी में अनेक अवैध कॉलोनियां अस्तित्व में हैं। इन अवैध कॉलोनियों में नगर पालिका सिवनी के द्वारा विकास काम कराए जाकर कॉलोनाईजर्स को लाभ पहुंचाने के आरोप भी जब तब लगते आए हैं। प्रदेश स्तर पर अगर एक समिति बनाई जाकर सिवनी शहर में अवैध कॉलोनी और उनमे हुए विकास काम की अगर जांच करवा ली जाए तो निश्चित तौर पर जो आंकड़े निकलकर सामने आएंगे वे हैरत अंगेज ही होंगे।
वर्तमान में नगर पालिका परिषद के प्रशासक के बतौर पर जिलाधिकारी राहुल हरीदास फटिंग पदस्थ हैं, वे ही अगर अवैध कॉलोनी में नगर पालिका के द्वारा कराए गए विकास कार्यों की जांच करवा लें तो दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है। अगर बिना जांच के ही कॉलोनी में विकास काम होने लगे तो अवैध कॉलोनी काटने वाले कालोनाईजर्स के हौसले बुलंद हो सकते हैं।

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