(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को है, इस दौरान शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के जयघोष जमकर होंगे। सावन के पहले सोमवार को घर से लेकर मंदिर तक शिव अभिषेक होगा। कहा जाता है कि सावन मास में महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कराने वाले हमेशा निरोगी और दीर्घायु रहते हैं।
अक्सर लोगों को इस मंत्र का उच्चारण करते भी सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या होता है और उसका क्या प्रभाव है। यदि नहीं तो जानिये महा मृत्यंजय मंत्र का अर्थ और उसका चमत्कार..
महा मृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं, जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताओं के द्योतक हैं। उन तैतीस देवताओं में 08 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्यठ, एक प्रजापति और 01 षटकार हैं। इन तैतीस देवताओं की संपूर्ण शक्तियां महा मृत्युंजय मंत्र से निहित होती हैं। इसे जपने वाला निरोग, ऐश्वर्य युक्त और धनवान भी होता है।
(त्रि) : ध्रववसु प्राण का द्योतक है जो सिर में स्थित है। (यम): अध्ववरसु प्राण का द्योतक है, जो मुख में स्थित है। (ब): सोम वसु शक्ति का द्योतक है, जो दक्षिण कर्ण में स्थित है। (कम): जल वसु देवता का द्योतक है, जो वाम कर्ण में स्थित है। (य): वायु वसु का द्योतक है, जो दक्षिण बाहु में स्थित है।
(जा) : अग्नि वसु का द्योतक है, जो बाम बाहु में स्थित है। म): प्रत्युवष वसु शक्ति का द्योतक है, जो दक्षिण बाहु के मध्य में स्थित है। (हे) प्रयास वसु मणिबन्धत में स्थित है। (सु) वीरभद्र रुद्र प्राण का बोधक है। दक्षिण हस्त के अंगुली के मूल में स्थित है।

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