मोह माया से परे रखें अपने आप को

 

0 तिघरा में बह रही धर्म की बयार

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। भगवान की भक्ति पक्के विश्वास के साथ करनी चाहिये और जीवों को मोह-माया से परे रहना चाहिये। उक्ताशय की बात कथा वाचक स्वामी सुशीलानंद महाराज ने ग्राम तिघरा के प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर में जारी श्रीमद भागवत कथा प्रसंग में श्रद्धालुजनों से कही।

महाराजश्री ने कृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भविष्यवाणी में कहा गया कि कृष्ण के मामा कंस को बहन देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाली आठवीं संतान के रूप मथुरा की जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ लेकिन वासुदेव ने कंस द्वारा हत्या करने के डर से कृष्ण को नंदबाबा के यहाँ पहुँचा दिया। वहाँ धूमधाम से नंदोत्सव मनाया गया और गाँव में नंदोत्सव में लोग खुशी सेस झूमने लगे।

कथा में भी नंदोत्सव मनाया गया और इस मौके पर महिलाओं ने बधाईयां गायीं। भागवत कथा में भी कृष्ण जन्म की सजीव झांकी सजायी गयी जिसको माखन मिश्री का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी दीना घोड़ा दीना और दीनी पालकी आदि भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे।

यहाँ जारी कथा में द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपनांद सरस्वती महाराज के आश्रम से उनकी विशेष शिष्या वाराणसी की मानस विदुषी लक्ष्मीमणी शास्त्री ने ध्रुव के चरित्र की कथा अंतर्गत उनकी माता सुनीति व सौतेली माता सुरुचि के माध्यम से कहा कि रूचि कैसी भी हो परन्तु नीति अच्छी होनी चाहिये, तभी विशेष या इच्छित फल या ईश्वर की प्राप्ति संभव है का बड़े सुन्दर ढंग से बखान कर श्रद्धालुजनों को मंत्रमुग्ध कर भाव – विभोर किया।