महाशिरात्रि 21 को, जानिये शुभ मुहूर्त

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनायी जायेगी है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनायी जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे।

मराही माता स्थित कपीश्वर हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी उपेंद्र महाराज ने शिवरात्रि व्रत की पूजा-विधि बताते हुए कहा कि इसके लिये मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिये। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिये।

शिव पुराण का पाठ और महा मृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप इस दिन करना चाहिये। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। शास्त्रीय विधि – विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधा अनुसार यह पूजन कर सकते हैं।

वहीं कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में ही भगवान शिव-लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे, इसलिये भी इस दिन का महत्व बढ़ जाता है। महा शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करते हैं और व्रत रखते हैं।

महाशिवरात्रि मुहूर्त : महा शिवरात्रि के लिये निशीथ काल पूजा मुहूर्त 24 बजकर 09 मिनिट 17 से 24 बजकर 59 मिनिट 51 तक होगा जिसकी कुल अवधि 50 मिनिट रहेगी। इसी तरह महा शिवरात्री पारणा मुहूर्त 06 बजकर 54 मिनिट 45 से 15 बजकर 26 मिनिट 25 तक 22 फरवरी को रहेगा।

महाशिवरात्रि व्रत का शास्त्रोक्त नियम:  चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथ व्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो जब चतुर्दशी तिथि आरंभ हो और रात का आठवां मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में ही पड़ रहा हो, तो उसी दिन शिवरात्रि मनानी चाहिये।

चतुर्दशी दूसरे दिन निशीथ काल के पहले हिस्से को छुए और पहले दिन पूरे निशीथ को व्याप्त करे, तो पहले दिन ही महा शिवरात्रि का आयोजन किया जाता है। उपर्युक्त दो स्थितियों को छोड़कर बाक़ी हर स्थिति में व्रत अगले दिन ही किया जाता है।