जानिये होलाष्टक दण्ड का महत्व

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। रंगों के पर्व होली पर होलिका दहन में होलाष्टक दण्ड का बहुत महत्व होता है। होली दहन के लिये बीच में खड़े किये जाने वाले दण्ड को होलाष्टक दण्ड कहा जाता है।

होलाष्टक का दण्ड से महत्व : होलाष्टक का प्रभाव 02 से 09 मार्च तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। अमूमन सनातनी परंपरा को मानने वाले सभी लोग होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं करते हैं। हालांकि कई स्थानों पर माँगलिक कार्य करने की छूट भी है।

ज्योतिष की जानकार आरजू विश्वकर्मा ने बताया कि होलाष्टक के पहले दिन होलिका दहन के स्थान पर दण्ड खड़ा किया जाता है। इसी के साथ ही होलाष्टक की शुरूआत होती है। होलिका दहन के दौरान दण्ड के गिरने से कई परंपराएं जुड़ी हैं। इस दण्ड का निर्धारण हिरणा कश्यप द्वारा प्रहलाद को दण्ड देने का संकल्प कर गाढ़ा गया था। इसी दण्ड के नीचे आठवें दिन षड्यंत्री प्रवृत्ति की होलिका दहन हो गयी थी।

दण्ड का जनमानस पर प्रभाव : होली जलने के बाद होलाष्टक दण्ड भी जमीन पर धराशायी हो जाता है। जानिये दण्ड किस दिशा में गिरता है तो इसका क्या प्रभाव माना जाता है।

यह दण्ड अगर ईशान कोण में गिरे तो वर्ष भर बनी रहेगी भगवान की कृपा। वायव्य दिशा में उन्नति, मान सम्मान में वृद्धि। अग्नेय दिशा में अग्निकाण्ड, आगजनी की घटनाएं। दक्षिण दिशा में गिरने पर मृत्यु, महामारी रोग, भय का प्रकोप। नैऋत्व कोण में खाद्यान की कमी, जल संकट बढ़ायेगा।

इसके अलावा पश्चिम दिशा में गिरने पर फसलों को लाभकारी। वायव्य कोण में संक्रमक रोग, अशांति, प्रदूषण बढ़ेगा। उत्तर दिशा में गिरने पर सामान्य फल लाभ – हानि बराबर की स्थिति में सुख-दुःख।

राशियों के हिसाब के रंगों से खेलें होली : राशियों के अनुसार मेष राशि वालों के साथ सिंदूरी कलर से होली खेलना शुभ रहेगा। वृष राशि वालों के लिये चमकीले, सफेद रंग ज्यादा भायेगा। मिथुन राशि – हरा, कर्क – सफेद, सिंह – लाल, कन्या -हरा, तुला – सफेद, चमकीला, वृश्चिक – सिंदूरी, भगवा, धनु – पीला, मकर – नीला, काला, कुंभ – नीला, काला बैगनी, मीन – पीला रंग होली खेलने के लिये प्रतिनिधित्व करेगा। पसंद की राशि के अनुसार रंग लगाने से उत्साह बढ़ेगा।

सूर्य प्रधान है होलिकोत्सव : पिछले वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी भद्रा बिष्टी का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। होलिका दहन के लिये भद्रा का योग रहना अशुभ रहता है। चंद्रमा होलिका दहन के समय सिंह राशि में होने से लाल रंग का प्रतिनिधित्व रहेगा। सूर्य लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। अतः यह होलिकोत्सव सूर्य प्रधान रहेगा। दूसरे दिन धुलेंडी के दिन द्विपुष्कर योग रहेगा। यह योग उत्साह को दोगुना करने में सहयोगी रहता है। भाईदूज का त्यौहार सर्वार्थ योग की छत्रछाया में मनेगा।