(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। शिवालयों में हम सब जिस शिवलिंग का पूजन और आराधन करते है वह देवाधिदेव कल्याणकारी महादेव और आदिशक्ति माँ पार्वती का आदि – अनादि एकल रूप है। सामान्य शब्दों में हम इसे पुरूष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी मान सकते हैं, क्योंकि यह संसार न केवल पुरूष और न केवल प्रकृति में से किसी एक का वर्चस्व है बल्कि दोनों ही समान हैं। प्रकृति को हम स्त्री स्वरूप के रूप में स्वीकार कर सकते हैं।
उक्ताशय के उद्गार आचार्य महा मण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज के द्वारा मोहगाँव में चल रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अंतर्गत शिव महापुराण यज्ञ के दौरान दिये गये अपने प्रवचन में व्यक्त किये गये। उन्होंने कहा कि हमारा परम पिता परमेश्वर से नित्य और सनातन संबंध है, जबकि संसार के बाकी के सारे संबंध मान्यताओं पर आधारित हैं। जिन व्यवहारिक एवं पारिवारिक संबंधों को हम निभा रहे हैं, वे सभी के सभी एक दिन टूट जायेंगे, किंतु परम पिता परमेश्वर से हमारे जो संबंध हैं वे सदा अटूट रहेंगे, इसलिये व्यक्ति को कभी भी अपने आपको अकेला नहीं समझना चाहिये। याद रखंे ईश्वर सदैव हर किसी के साथ विद्यमान है।
आचार्यश्री ने कहा कि इस ब्रह्माण्ड में दो ही चीजें हैं, इनमें एक ऊर्जा और दूसरा पदार्थ है। हमारा शरीर पदार्थ से निर्मित है, जबकि आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बनकर संयुक्त रूप से शिवलिंग कहलाते हैं। ब्रह्माण्ड में उपस्थित समस्त ठोस तथा ऊर्जा शिवलिंग में निहित हैं। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्माण्ड की आकृति है। उन्होंने बताया कि स्कंद पुराण में लिंग का अर्थ लय लगाया गया है। लय प्रलय के समय अग्नि में भस्म होकर शिवलिंग में समा जाता है और सृष्टि के आदि में इसी लिंग से सब प्रकट होता है।
उन्होंने बताया कि पूजित किये जाने वाले शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपर प्रणवाख्य महादेव स्थित हैं। देवी महादेवी और लिंग मिलकर ही महादेव हैं। यदि हम सिर्फ शिव लिंग की ही पूजा करते है तो यह मानकर चलिये कि हमने सभी देवी देवताओं का एक साथ पूजन – अर्चन कर लिया।
उन्होंने कहा कि परम ब्रह्म परमेश्वर भगवान शिव ने सृष्टि की रचना के पहले शक्ति की रचना की थी। शिव और शक्ति ने इस प्रकृति को संचालित किया है। संसार का अंतिम सत्य मृत्यु अर्थात मोक्ष है जो बिना शिव की आराधना के संभव नहीं है। ब्रह्मा द्वारा रचित सृष्टि और विष्णु द्वारा पोषित होने वाली इस सृष्टि में संपूर्ण प्राणी प्रकृति के अधीन है, किंतु प्रकृति स्वयं शिव के अधीन है। अतः शिव आराधना से बढ़कर और कुछ भी नहीं है।
इस अवसर पर जिला ब्राह्मण समाज के पूर्व अध्यक्ष पंडित महेश प्रसाद तिवारी, पंडित बसोड़ी लाल त्रिवेदी, पूर्व पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित अन्य श्रद्धालुजन कथा श्रवण हेतु पहुँचे थे और इन्होंने आचार्य महा मण्डलेश्वर का अभिनंदन कर उनका आर्शीवाद ग्रहण किया।

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