. . . मतलब कच्चे में आ रहा कीटनाशक!

 

 

किसानों को नहीं मिल पा रहा कीटनाशक का पक्का बिल!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। खरीफ की फसल की बुआयी अब आरंभ हो चुकी है। किसानों को खरपतवार पर नियंत्रण के लिये नींदानाशक दवाओं का छिड़काव इसी दौरान करना होता है। जिले भर के किसानों को खाद बीच की दुकानों में मिलने वाला कीटनाशक तो मिल पा रहा है पर बिना पक्के बिल के! इन परिस्थितियों में यही प्रतीत हो रहा है कि ये कीटनाशक कच्चे बिल पर ही बुलवाये जा रहे हैं।

किसानों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिले भर में खाद बीज की दुकानों में मिलने वाले उपकरण, कीटनाशक आदि तो निर्धारित दर (एमआरपी) पर मिल रहे हैं पर दुकानदारों के द्वारा उन्हें पक्का बिल नहीं दिया जा रहा है। जानकारी के अभाव में किसान भी पक्के बिल की माँग नहीं कर रहे हैं।

वहीं किसान कल्याण विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दरअसल जिले के अनेक व्यापारियों के द्वारा खादी बीज और कीटनाशक को कच्चे में ही बिना बिल के बुलाया जा रहा है। सूत्रों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जीएसटी लागू होने के बाद भी अगर इस तरह से कच्चे में माल आ रहा है तो यह अपने आप में शोध का ही विषय माना जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि जिले भर के खाद बीज विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों में किसानों की भीड़ से ही इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उन्हें वर्तमान में कीटनाशक दवाओं की आवश्यकता है, जिनसे खरपतवार को नष्ट किया जा सके और जमीन में उत्पन्न हुए कीट जो फसलों के नये ऊगने वाले पौधों को नुकसान पहुँचा सकते हैं को समाप्त किया जा सके।

उक्त संबंध में किसानों का कहना है कि दुकानदार उन्हें जो भी दवा दे रहे हैं उसकी कीमत वही ले रहे हैं जो दवा के ऊपर अंकित है, पर इसका पक्का बिल दुकानदारों के द्वारा नहीं दिया जा रहा है। किसानों का आरोप है कि अगर दुकानदारों से उनके द्वारा पक्का बिल माँगा जाता है तो दुकानदार उन्हें रूकने की बात कहकर टाल देते हैं।

किसानों का कहना है कि उनके द्वारा पूर्व में बीज की खरीदी के दौरान भी दुकानदारों के द्वारा बिल नहीं दिये गये। इतना ही नहीं खाद खरीदने के दौरान भी दुकानदारों के द्वारा पक्का बिल प्रदाय नहीं किया जा रहा है। खाद, बीज और कीटनाशकों के दामों में भी अलग – अलग दुकानों में कम ज्यादा दरों के आरोप किसानों ने लगाये हैं।

इधर, किसान कल्याण विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों के द्वारा स्टॉक वेरीफिकेशन की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है। हर साल महज़ एक दो दुकानों का निरीक्षण कर अधिकारियों के द्वारा रस्म अदायगी मात्र कर ली जाती है।

सूत्रों की मानें तो विभाग के अधिकारियों को खादी बीज विक्रेताओं के द्वारा पर्याप्त मात्रा में चौथ दिये जाने के चलते किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों के द्वारा इस तरह से कथित तौर पर उदासीनता बरती जाकर व्यापारियों को लाभ पहुँचाने का प्रयास किया जाता है, जिससे किसान लुटने पर मजबूर हो जाते हैं।

इसके साथ ही सूत्रों ने कहा कि इस साल बोवनी अब अंतिम दौर में पहुँच चुकी है और इसके बाद भी अब तक किसान कल्याण विभाग के द्वारा जिले के कितने खाद बीज विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण कर नमूने संग्रहित कर उनके स्टॉक का मिलान किया गया है, शायद ही कोई जानता हो!