छः साल से धूल खा रही करोड़ों की बिल्डिंग!

 

 

पॉलीटेक्निक के कन्या छात्रावास को अब तक हेण्डोवर नहीं किया हाउसिंग बोर्ड ने!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। सरकारी कामों में लालफीताशाही किस कदर हावी है इस बात का साक्षात उदाहरण शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज़़ में छः साल से बनकर तैयार कन्या छात्रावास को देखकर मिलता है। लगभग अस्सी लाख रूपये का यह भवन छः सालों से धूल ही खा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल के द्वारा शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज़़ में 50 बिस्तर के कन्या छात्रावास का निर्माण, कॉलेज़़ परिसर में करवाना था। इसके लिये कपीश्वर हनुमान मंदिर (मराही माता) के पीछे लगभग दो एकड़ के रिक्त भूखण्ड का चयन किया गया था।

पॉलीटेक्निक कॉलेज़ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 50 बिस्तर वाले इस कन्या छात्रावास के निर्माण का काम राजधानी भोपाल की एआरपी सेल्स एण्ड इंजीनियरिंग को करना था। इसके लिये काम को 11 जनवरी 2013 में आरंभ करवाया गया था। सूत्रों की मानें तो यह काम नौ महीनों में अर्थात अक्टूबर 2013 तक पूरा कर लिया जाना चाहिये था।

सूत्रों ने बताया कि इस कार्य के लिये 79 लाख 25 हजार रूपये का आवंटन प्राप्त हुआ था। इस राशि से मध्य प्रदेश गृह निर्माण और अधोसंरचना विकास मण्डल के सिवनी स्थित सहायक यंत्री कार्यालय के अधीक्षण में उपरोक्त ठेकेदार को काम करवाना था। सूत्रों ने बताया कि 2013 के अंत में कन्या छात्रावास का यह दो मंजिला भवन बनकर तैयार हो गया था।

इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि इस परिसर के चारों ओर चारदीवारी भी उसी समय बना दी गयी थी। इसके बाद छः सालों से यह पूरा परिसर ताले की जद में है। पॉलीटेक्निक कॉलेज़ में बाहर से आकर यहाँ रहकर अध्ययन करने वालीं छात्राओं के द्वारा शहर में अवैध रूप से चल रहे गर्ल्स हॉस्टल्स या पेईंग गेस्ट (पीजी) में रहकर ही पढ़ायी की जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि यह भवन पूरी तरह तैयार है। पाँच सालों से लगातार धूप बारिश झेल रहा यह रिक्त भवन अब जहरीले जीव जंतुओं का घर बनकर रह गया है। इस भवन का उपयोग न किये जाने के पीछे यह दलील दी जा रही है कि हाउसिंग बोर्ड के द्वारा इस भवन का आधिपत्य अब तक पॉलीटेक्निक कॉलेज़ प्रशासन को नहीं दिया गया है।

हर साल बारिश के मौसम में कन्या छात्रावास के आसपास ऊँची-ऊँची घास ऊग आती है। इसके पास हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में निवास करने वालों का कहना है कि बारिश के मौसम में इस परिसर से विषधरों के अलावा, कंबल कीड़े, जोंक एवं अन्य जीव जंतु बहुतायत में निकलते हैं।

इस भवन को पॉलीटेक्निक प्रशासन को अब तक हेण्डोवर क्यों नहीं किया गया है इस बारे में अब तक छः सालों में किसी भी विधायक के द्वारा विधान सभा में प्रश्न पूछने की जहमत भी नहीं उठायी गयी है। ऐसा क्यों किया गया है इस बात का जवाब तो विधायक ही दे सकते हैं किन्तु इस तरह ठूंठ के मानिंद भवनों को खड़ा कर जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से संचित राजस्व की होली खेली जाना उचित नहीं माना जा सकता है।

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