शैक्षणिक सत्र आरंभ होते ही खुली दुकानें!
(संतोष बर्मन)
घंसौर (साई)। जिला कलेक्टर के द्वारा भले ही शैक्षणिक संस्थाओं और कॉपी – किताब, गणवेश विक्रेताओं के लिये सरकारी नियम कायदों का हवाला देते हुए कड़े आदेश जारी कर दिये गये हों पर ये आदेश जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की नस्तियों में ही कैद होकर रह गये हैं।
जिले के आदिवासी अंचल घंसौर में संचालित प्राईवेट स्कूलों द्वारा इन दिनों जिला कलेक्टर के आदेशों को ठेंगा दिखाकर, उनके द्वारा ड्रेस व किताबें स्कूलों से ही वितरण करने के मामले सामने आ रहे हैं, जबकी पिछले दिनों जिले के मुखिया द्वारा आदेश जारी करते हुए प्राईवेट स्कूलों को सख्त लहजे में चेतावनी दी गयी थी।
वहीं, अपनी मर्जी के मालिक बन चुके प्राईवेट स्कूलों के संचलक इस आदेश को ज्यादा तवज्जो देते नहीं दिख रहे हैं। जानकार सूत्र बताते हैं कि नये सत्र के प्रारंभ होते ही इन आदेशों की हुकुम उदूली नजर आने लगी है। जहाँ स्कूलों द्वारा या तो खुद स्कूलों से किताबें एवं ड्रेस के लिये दबाव बनाया जाने लगा या फिर खुद स्कूल के पास स्थित खुद की दुकानों से किताबें लेने के लिये अभिभावकों पर दबाब बनाने के मामले सामने आने लगे हैं।
ज्ञातव्य है कि इसके पहले तत्कालीन जिला कलेक्टर धनराजू एस. द्वारा भी इस दिशा में प्राईवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिये आदेश जारी किये गये थे, किन्तु जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधीन तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों को पूरी तरह शीशे में उतारने वाले शाला संचालकों के द्वारा इस तरह के आदेशों को रद्दी की टोकरी के हवाले ही कर दिया जाता रहा है।
वर्तमान में जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा सख्त लहजे में आदेश जारी किये जाने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कथित उदासीनता के चलते निजि शालाओं के संचालकों के द्वारा पालकों की जेब तराशी का काम बिना किसी खौफ के ही किया जा रहा है।
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